Book Title: Arhat Vachan 2000 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 58
________________ ज्ञानोदय पुरस्कार श्रीमती शांतादेवी रतनलालजी बोबरा की स्मृति में श्री सूरजमलजी बोबरा, इन्दौर द्वारा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के माध्यम से ज्ञानोदय पुरस्कर की स्थापना 1998 से की गई है। यह सर्वविदित तथ्य है कि दर्शन एवं साहित्य की अपेक्षा इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में मौलिक शोध की मात्रा अल्प रहती है। फलत: यह पुरस्कार जैन इतिहास के क्षेत्र में मौलिक शोध को समर्पित किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रतिवर्ष जैन इतिहास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र / पुस्तक प्रस्तुत करने वाले विद्वान को रु. 5,001 = 00 की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया जायेगा। 1994 - 98 की अवधि में प्रकाशित अथवा अप्रकाशित जैन इतिहास / पुरातत्व विषयक मौलिक शोधपूर्ण लेख / पुस्तक के आमंत्रण की प्रतिक्रिया में 31.12.98 तक हमें 6 प्रविष्ठियाँ प्राप्त हुईं। इनका मूल्यांकन प्रो. सी. के. तिवारी, से.नि. प्राध्यापक - इतिहास, प्रो. जे.सी. उपाध्याय, प्राध्यापक - इतिहास एवं श्री सूरजमल बोबरा के त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल की अनुशंसा पर श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, अध्यक्ष - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ने ज्ञानोदय पुरस्कार - 98 की निम्नवत् घोषणा की है - ___ डॉ. शैलेन्द्र रस्तोगी, पूर्व निदेशक - रामकथा संग्रहालय (उ.प्र. सरकार का संग्रहालय), अयोध्या, निवास - 223/10, रस्तोगी टोला, राजा बाजार, लखनऊ। जैनधर्म कला प्राण ऋषभदेव और उनके अभिलेखीय साक्ष्य, अप्रकाशित पुस्तक। यह पुरस्कार 29.3.2000 को समारोह पूर्वक इन्दौर में समर्पित किया गया। __1999 के पुरस्कार हेतु 1995 - 99 की अवधि में प्रकाशित / अप्रकाशित मौलिक शोधपूर्ण लेख / पुस्तकें 31 मार्च 2000 तक आमंत्रित की गई थी। प्राप्त प्रविष्ठियों का मूल्यांकन कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2000 के पुरस्कार हेतु प्रविष्ठियाँ 15 अगस्त 2000 तक सादर आमंत्रित हैं। प्रस्ताव पत्र का प्रारूप एवं नियमावली कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं। देवकुमारसिंह कासलीवाल डॉ. अनुपम जैन अध्यक्ष मानद सचिव अर्हत् वचन, अप्रैल 2000 56

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