Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 5
________________ आ बधुं न होय तो प्रकाशन पामती सामग्रीमां केवी ने केटली क्षतिओ, सम्पादकीय सज्जतानी ओछाशने कारणे, रही शके ते समजवा माटे, आ अंकनुं 'विहंगावलोकन' जोQ जोईए. तेमां उपाध्याय श्रीभुवनचन्द्रजीए खूब सूक्ष्मेक्षिकाथी गताङ्कनी कृतिओ विषे अवलोकन आप्युं छे. ते वांचतां ज ख्याल आवे के सम्पादकनी सज्जता एटले शं, अने ते केवी होवी जोईए? ___'विहंगावलोकन' ए 'अनुसन्धान'- घरेणुं छे. ते न होय त्यारे अंक फीको पडी जतो अनुभवाय छे. सामग्री- सम्पादन बराबर न थयुं होय त्यारे, तेमांनी क्षतिओने शक्य प्रयत्ने सम्मार्जित करवानुं काम आ अवलोकन द्वारा थतुं रहे छे. आ माटे आपणे, अनुसन्धान, अवलोकनकारनो आभार माने तेटलो ओछो छे. ___वर्षों पूर्वे डो. मधुसूदन ढांकीए 'सिंहावलोकन' करी मोकलवा कहेलुं. एक वार मोकल्युं पण खलं. पण पछीथी न मोकली शक्या ! तेनी खोट "विहंगावलोकन' द्वारा पूरी थाय छे खरी. अस्तु. - शी.

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