Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 4
________________ निवेदन एक शोध-सामयिकनुं सम्पादन ए केटली बधी सज्जता तथा निष्ठा मागी लेतुं काम छे, तेनो अहेसास 'अनुसन्धान'ना प्रत्येक अंके थतो रहे छे. कोईक साहित्यिक अने शोधपरक प्रवृत्ति करवानो शोख कहो के उत्साह, तेथी प्रेराईने सामयिकनो आरम्भ तो करी बेठा, परन्तु जेम जेम ते कार्य थतुं जाय छे, तेना विविध तबक्कामांथी पसार थवानुं बने छे, तेम तेम पोतानी ऊणपो विषे अने ओछी सज्जता विषे ख्याल आवतो जाय छे. शिक्षणनो आ पण एक प्रकार हशे ! आ प्रकारना सामयिक माटे सामग्री आपे-आपी शके तेवा लोको साव ओछा, गण्यागांठ्या ज. आ सामयिकना पांच-दश अंकोने उथलावीए तो ख्याल आवी जाय के गणतरीनां चोक्कस नामो छे, ने ते अवारनवार आवतां रहे छे. नवां नामो आववानी तो आशा अस्थाने ज, ऊलटुं, होय ए नामो पण ओछां थतां रहे. आ स्थितिमा त्रण विकल्पो संभवे : १. आ प्रवृत्तिमां रस अने भाग लेनाराओ वधारवा; जे बहु मुश्केल दीसे. २. जाते ज सतत ने सखत परिश्रम करीने सामग्री- संकलन-सर्जन करवू; आम करवू पडे ते जे ते सामयिकनो मृत्युघंट वगाडवा तुल्य ज गणाय. ३. नवोदितोने उत्प्रेरित करीने तेमने तेमना बरनी काची सामग्री आपीने तेमनी पासे लिप्यन्तरादि कराव; आमा सम्पादकनी जवाबदारी घणी बधी जाय; तेणे पेला नवोदितोए आपेली सामग्रीने सुधारवानी-मठारवानी रहे, अने तेमां तेमणे, समजण नहि पडवाने लीधे जे गरबड करी होय वा रहेवा दीधी होय, तेने वीणी-वीणीने सम्मार्जित करवी पडे. आ माटे अनेक रीतनी सज्जता जोईए, कल्पकता जोईए, सन्दर्भोनो स्मृति-बोध होवो जोईए; खास तो दरेक बाबतने शंकानी दृष्टिथी जोवानी कळा होवी जोईए.

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