Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
जान्युआरी- २०१९
१०१ ऊठ्यो जणणीस्युं करी सीख चाल्यो मोटां भरतो वीख... ५२ साम्ही दृष्टि न दीध लगार ऊंचइ मुखि नीसर्यो कुमार दुष्ट मन करीनइ गयो कटकमांहि जई भेलो थयो... ५३ जोतां वाट थई बहु वार कांई थई नाव्यो भरतार तितरइ ईक आवी छोकरी बोली अति घण सासई भरी... ५४ विरह तणी वधाई दीध गयो कुमर विण सीखई कीध हवी कुमर नही किणरइ हाथि गयवर झाल्यउ न हइ बाथि... ५५ सांभलता नारी ततकाल व्याप्यो विरह थई विकराल आखडती रोती अडवडी मुर्छागत धरणी ढलि पडि... ५६ थई अचेतन नाठी आन पीधउ जाणे मदिरापान सीतल जल छाटीउं सरीर वीजणडे घालीयो समीर... ५७ मुर्छा नाठी बईठी थई गयो नाह किम कीजई भई हवी सठसुं न चलई जोर भीजई भेदई नही कठोर... ५८ बीजा खंडनी बीजी ढाल परी कीधी दुख विचाल कविअण कहई सुणयो नरनारि अति हठ कीधउ पवनकुमार...५९
ढाल - ३ : जति सहित दूहा
(देसी : प्रभु आवागमननी लाल रे) छेहू देई नई गयो नीठर पवन कुमार अबला झूरे एकली नाखंती जलधार.
६० चालि- नांखई आंखइ आंसू धारा, जाणे तूटा मोतीहारा
गलियां काजल नयणारां, दुख सालइ घट सयणारां... ६१ दूहा- साजनीयां सालइ घणुं मीठा मिश्री दूध
ताप मिटइ मिलीयां थकां हियडउं हेजालू ध. ६२ चालि- हेजालू ध जीआ राहीआ घटसुं घट सुपी दीया
चितथी सो किम ही न जाय जग जो फेरि मंडाइ. ६३ दूहा- जग मंडाई फेरनइ पडे न वेरी भत्ति
सो किम सज्जन वीसरइ जिणसुं वेधुं चित्त. ६४

Page Navigation
1 ... 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156