Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जान्युआरी- २०१९
___ ११५ श्रीविजयभदमुनि-रचित कमलावती रास
- सं. डिम्पल नीरव शाह
श्रीमहेश्वरसूरिजीओ ज्ञानपंचमी- माहात्म्य वर्णवती कमलाख्यानक नामनी प्राकृत १२५ गाथानी कृति रची छे आ कृतिना आधारे श्रीहेमविमलसूरिजीनी परम्परामां लावण्यरत्नना शिष्य श्रीविजयभद्र नामना मुनिओ (वि. १६मो सैको) ५० कडीनी, कमलावती नामनी सतीनुं कथानक निरूपती, आ कृति रची छे. कर्ताओ आ उपरान्त कलावती सतीनो रास, शिखामण सज्झाय व. कृतिओ पण रची छे.
कैलाससागरसूरि ज्ञानभण्डार - कोबा गत त्रण प्रतना (क्रमाङ्क ५१७१९, ४०७६४, ४३७७६) आधारे आ कृतिनुं सम्पादन कर्यु छे. प्रत आपवा बदल ज्ञानभण्डारना संचालकोनो आभार.
॥ श्रीगुरुभ्यो नमः ॥ श्री नमिउं वीरजिणेसर दिणेसर अभिनवु कूणि, भरत खेत्र भरू[छ]वि नगरनी सोभा जोणि । मेघरथ तिहां राजा रा[ज] करइ धर्म जंपइ, इंद्रन[ग]रवि रिद्धि जिसी तस घरि संपइ ॥१॥ तस घरि संपइ जिनधर्म जंपइ तेहनी बेदी(टी) कमला, कमला परघरि जेहनइ जेहवी तेहनी मनछा विमला । मणिमाणिक पहिरी सोवनमय योवनभरि ते आवी, रथवल्लभराइ जा उछवमइ बाप परणावी ॥२॥ सोपारइ पाटणि रथवल्लभराय जाणउं, ते कमला कन्या परणी करी गयु आणुं । पांच अनुत्तर सुर जिम ति सहू सुख बे लेखइ, वेखइ सहू सुखमइ अवतरी माणस लेखइ ॥३॥ माणस वेप(ष)इ ते सुखइ अतिरूपि ते नारी, त्रिभुवन रूप नही ते तोलइ रंभा रूपइं हारी ।

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