Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 121
________________ ११४ अनुसन्धान-७६ राणी पोढी रंगस्युं सुत राखी अक छेलई रे मुखि पीनपयोधर ले ठवइ धवरावई पयरस रेलि रे. २१२ सु० देखाडा रवि चंद्रमा वली जागी बेठी राति रे दस दिन लग थिति साचवी समया सरिखी सदभाति रे. २१३ सु० स्नान दसूठणारउ कीयु जल सेंती धोयां चीर रे तन अशुचि सवे दूरइ हरी सुख पाम्यो आप शरीर रे. नक्षत्र अभीचई ऊपनो योध महा दुरदंत रे, गुण सि(स)कल विराजित सोभतो नाम दीयो हनुमंत रे. २१५ सु० चंपकमाला हेजसु निशि वासर सारई सेव रे फलफूल चूटी आगई धरई जब देखई जे टेव रे. संपति वेला ढूकडी दुख दीठइ नासई हारि रे ते माणस कोडी कारिमी लहई मोल ऊगंतई सूरि रे. २१७ सु० विल्यडी ल्यइ आंगडी सघलो दुःख आपस जोडी रे नरकी मति तिणरी अकरी लख अरवि अनंती कोडि रे. २१८ उत्तम कुलरी ऊपनी दासी चंपकमाला रे मुखि कबहि छोहा नवि कहई विहसंतई वदन विशाल रे. २१९ सु० ईणि परि दीहा योगवई गिरि भीतरि नारी रे तसु पुत्रतणई आलवणई दिन गुदरी जायई पारि रे. २२० सु० ढाल भणी ओ सातमी सुत जनम तणी मई पेह रे हिवई राति छठ्ठी जे लिपि लिखी कुण मेटि सकई नर तेह रे. २२१ सु० खंड अह बीजउ कहिउ पूरण गुरुदेव पसाय रे पुण्यसायर पुर साचोर मई वाचक गुणरंगई गाय रे. २२२ सु० ___ इतिश्री अंजनासुंदरी-पवनंजयकुमर-संबंधे पठिमादिग्पाल-साधनाधिकार लंकाधिपरिद्धिवर्णन, प्रह्लादननृपप्रमुखसकलमंडलेश्वर-अकत्रकरणाय दूतमोचन, तदवसरे पवनंजयकुमरेण मानसरोवरतटे चक्रवाकचक्रवाकीविरहालापशृणन् अंजनासुंदरीअंतरायकर्मक्षयवशदिक्वमिलन, तत्र गर्भोत्पत्ति, अंजनासुंदरी अंतरायकलंक दासीसहित बाह्यमोचन, तत्र हनुमंतजन्माधिकारवर्णनो नाम द्वितीयः खण्डः । C/o. ३४, प्रोफेसर्स कोलोनी, नवरंगपुरा, अमदावाद-९

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