Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 141
________________ १३४ अनुसन्धान-७६ आ खण्डमां दसेक स्वाध्यायलेख छ जे नीवडेली कलमोनी नीपज छे. वि. शीलचन्द्रसूरिजीए भ० ऋषभदेव विषे सांस्कृतिक दृष्टिकोणथी केटलांक तथ्यो संकलित कर्यां छे. ते आदिनाथ । आदिम पुरुष तरीकेनी भ. ऋषभदेवनी छबिने जाणे फेममां मढी आपे छे. डो. हसु याज्ञिकनो जैन रासकृतिओ विषे विद्वत्तापूर्ण चर्चा करतो लेख ध्यानार्ह छे. जैन रासकृतिओ विषे ज्यारे पर्याप्त माहिती बहार आवी न हती त्यारे आ कृतिओने प्रकीर्ण विभागमां मूकवानी प्रणाली साहित्यसमीक्षको द्वारा जाण्ये-अजाण्ये स्थापित थई हती. डॉ. याज्ञिक विस्तृत विश्लेषण द्वारा स्पष्ट करे छे के जैन रास कृतिओनुं स्वरूप अन्य कृतिओनी जेम साहित्यिक ज छे, अने तेथी आ कृतिओने प्रणालिकागत मुख्य प्रकारो - आख्यान, प्रबन्ध-जेवी श्रेणीमां ज मूकवी जोईए. वात साची छे. भले इष्टदेव के कथाना स्रोत जुदा होय, पण कार्य सरखं ज छे. आख्यानो द्वारा जे काम - आम जनताने प्रेरणा-बोध आपवा- थाय छे ते ज काम रासोए कर्यु छे. ___ श्री राजेश पंड्या तरफथी कवि श्रीलावण्यसमय अने तेमनी कृतिओनो माहितीसभर परिचय करावतो लेख मळे छे. गुजरात, गुजरातनो इतिहास तथा गुजराती भाषानी छबी लावण्यसमयनी कृतिओमां झीलाइ छे, तेथी ए कृतिओनुं महत्त्व छे ते आ लेख कही जाय छे. __ भारतीय इतिहास तथा जैन इतिहास- एक पुरातन पानें एटले मथुरानो 'देवनिर्मित स्तूप' - जे आजे 'कंकाली टीला'ना नामे ओळखाय छे. श्री रेणुका पोरवालना लेखमां आ स्तूप अंगेनी प्रमाणित माहिती अपाई छे. जैनधर्मना इतिहासना आ अल्प परिचित प्रकरणथी माहितगार थवा साधुसाध्वीओए आ लेख वांचवा जेवो छे. श्री नाथालाल गोहिल संतपरम्पराना गीतोना एक प्रकार 'हेली' विशे सुन्दर जाणकारी तेमना लेखमां आपे छे. गूढवाणी उलटबांसी जेवो ज आ आध्यात्मिक पदोनो प्रकार छे. हेली विशे आ अवलोकनकारे प्रस्तुत लेख द्वारा ज सर्व प्रथम वखत जाण्युं. 'प्रभासपाटणमां जैनधर्म' लेखमां श्री हसमुखभाई व्यासे विविध

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