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जान्युआरी- २०१९
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चोवीश जिनस्तवन सादी रचना छे. तीर्थङ्कर सम्बन्धी विगतो याद राखवाना साधन तरीके कविए आ रचना करी छे. 'नव वाड भास' उपदेशात्मक रचना छे. अशिक्षित-निरक्षर वर्गने आवी रचनाओ द्वारा धार्मिक ज्ञान पहोंचतुं. ए आवी रचनाओ, जमापासुं छे.
पूजाओ पण आवो लोकलक्षी काव्यप्रकार छे, बहुलक्षी माध्यम छे. भक्ति, प्रेरणा, शिक्षण, आनन्द, कला, कविता जेवा तत्त्वो पूजामां एकरस बनी जता होय छे. 'तत्त्वत्रिक पूजा'मां त्रण तत्त्व, त्रण रत्न अने मोक्षमार्गना त्रण अंगनी समज गूंथी लेवाइ छे..
___ मिथ्यात्वविरह-सम्यक्त्वकुलक एक कटाक्ष अने चाबखांथी भरेली बोधक रचना छे. सहेजे अखा भगतना छप्पा याद आवे. सातमी कडीमां पितृतर्पण विशे कटाक्ष छे. चोथु चरण आम होइ शके : गुजरात थ्या आंबा पाई'. "गंगा किनारेथी पाणी उछाळे अने गुजरातमां ऊगेला आंबाने पाय." नानक अथवा कबीरना जीवनमां आवी ज वात आवे छे.
भीडभंजन पार्श्वनाथ स्तवन जेवी रचनाओ ऐतिहासिक विगतो पूरी पाडती होय छे, ज्यारे नवकारवालीनी सज्झाय जेवी रचनाओ शैक्षणिक हेतु सिद्ध करती होय छे.
'सूकडि-ओरसिया संवाद' रास साहित्यिक रचना छे. ज्ञान साथे गम्मत समायेली होय छे. कवि खूब ज हळवा मिजाजमां गम्भीर वातो करे छे. चर्चाने सात नय अने अनेकान्तवादना स्तर सुधी लइ जवामां कवि सफल थया छे. थोडं शब्दो विशे :
___ ढा. ३, क. ७ : "विचकि' शब्द गेरमार्गे दोरे छे. 'विच' शब्द छ, कि तो पादपूर्ति माटे छे. ढा. ८ क. ६ : पलतूउ : 'निर्वाह । गुजारो करतो' एवो अर्थ बेसे छे. ढा. १०, दू. २ : चड़वड़ नो अर्थ 'कर्कश' नहि, 'चपचप' वधु संगत थशे.
श्रीसिद्धिविजयजी कृत सीमन्धरस्वामी स्तवन 'विनति' प्रकारनी रचना छे. आना प्रारम्भना बे दूहा पार्श्वचन्द्रगच्छना राइय प्रतिक्रमणमां तीर्थवन्दनामां बोलाय छे. सम्भव छे के आ बे दूहा लोकप्रिय बनी स्वतन्त्र रूपे प्रसार पाम्या होय, पछीथी तेनो तीर्थवन्दनामा समावेश करवामां आव्यो होय. महो. यशोविजयजी म.ना ३५० गाथाना स्तवन साथे आनुं साम्य स्पष्ट देखाय छे. कइ रचना