Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
जान्युआरी- २०१९
१३३
सम्पादकीए सातेक पानामां अनुसन्धान अंगे निवेदन आप्युं छे, जेमां तेमनी संवेदना छलकाय छे. कहे छे के कोई कार्य थवा- होय त्यारे प्रकृति कोईने माध्यम बनावे छे. लागे छे के जैन श्रमण संघमां आवं सामयिक चलाववानुं काम आ. श्री शीलचन्द्रसूरिजीने माथे नाखवामां आव्युं छे.
श्री मणिभाई प्रजापतिए जबलं काम कयुं छे. ७४ अंकोमांथी पसार थई, अनुसन्धानना दरेक अंगनुं वैशिष्ट्य तेमणे उजागर कर्यु छे. कलाकारने साची दाद कलाकार ज आपी शके. एम अहीं संशोधनक्षेत्रना एक निष्ठावान विद्वान द्वारा अनु० ने दाद मणिभाईना समीक्षालेखथी मळी छे.
अनुसन्धान द्वारा विज्ञप्तिपत्रोना संग्रहरूप विशेषाङ्को थया हता तेनी समीक्षा श्री कान्तिभाई बी. शाहे तेमना लेखमां करी छे. कुल मळीने दोढसो जेटलां, पूर्वे अप्रगट होय एवां, विज्ञप्तिपत्रो बहार आवेला. आ जेवं तेवू काम नथी.
श्री कीर्तिचन्द्रविजयजी (बन्धुत्रिपुटी) महाराजे अनुसन्धान अने तेना सम्पादक उपर अढळक हेत तेमना लेखमां ढोळ्युं छे, तेमां मात्र मित्रता ज बोले छे एवं नथी; तेओ स्वयं विद्वान छे अने आ प्रकारनं कार्य केटली सज्जता मागे छे ते जाणे छे, तेथी तेमना उद्गारोमा विद्याप्रीतिनो रणको छे.
डो. मालतीबहेन विद्याव्यासंगी छे अने विद्याना वारसदार पण छे. तेमणे पोताना ढूंका लेखमां अनु० प्रत्येनो उमळको ठालव्यो छे. श्री मनोज रावल 'अनुसन्धान' माटेनी पोतानी संवेदना व्यक्त करे छे. आवां कार्य पाछळना भावजगतनी वात तेमणे सुपेरे करी छे.
___ श्री निरंजनभाई राज्यगुरुना लेखनुं शीर्षक ज घणुं कही जाय छे : 'हजी एक ऊंबरे दीवो बळे छे...' संनिष्ठ संशोधन, प्राचीन साहित्य, भारतीय विद्याना क्षेत्रे काम करनारा विद्वानोनी संख्या घटती जाय छे त्यारे अनु० द्वारा नवा विद्यार्थी । अभ्यासी तैयार थाय छे तेनो राजीपो तेमना लेखमां तरवरे
छे.
केटलाक विद्वानो, आचार्यो, मुनिओ, साध्वीजीओना आनन्दअनुमोदनाना उद्गारो पण आ खण्डमां छे.

Page Navigation
1 ... 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156