Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 113
________________ १०६ अनुसन्धान-७६ स्नान करी निर्मल जलई कस छोई हे लेप्यो अंग वागा पहिरा सोभता कसतूरी हे तिणि मज्जन कीध... ११८ प्री० अगर तणा करी धूपणा वली थाप्या हे चंदणरा कुंभ फूल विखेरां पुहचता अति सुंदर हे आवई सोरंभ कि... ११९ रचीया कुमरी रंगस्युं सोभीता हे नवसत शिणगार छंदो प्रीउनो चालवई अति मीठा हे मानई मनुहार कि... १२० प्री० पल्यंग विछाही पोढीया पधरावी हे नारीनई सेज किंठ लगाई प्रीतिसुं हीयडास्युं हे वली गाढई हेजि... १२१ अरति अंग तणी गई रोमराई हे परगटीयो रंग कामागन बूझावीयो तस ठरीयां हे आठइ ही अंग कि... १२२ नीद्रई सेजइ लह्यां थिकां तन तपीयो हे जल शीतल धार के विछडीयां साजणथि लई सुख जाणइंहे तसु सरजणहार... १२३ प्री० चंदा तु म म आथमे जिम रजनी हे अधिकेरी थाई पर उपगारी थाय जे मुझ ओ खिण हे लाखीणी जाई... १२४ प्री० सुंदरी सुणी चंदो कहई जिस तुझनइ हे वल्लभ छई नाह तिम हू रोहिणिवालहठं सवि कइनेइ हे सारिखी चाह... १२५ प्री० कामिनी वली कहइ चंदनई रोहिणनई हे हूं सरीखी केम थे सुख दिन प्रति भोगवो मुझ मिलीयो हे राकां(रांका) गुल जेम १२६ प्री० वलतो चंद कहई ईस्युं तो अहवई हे म म भूलि भरुसि खाधीनई दोडई सहू अणखाधारी हे न थई हूंसि... १२७ प्री० सो तो साचउ तुम्हे कह्यउ खिण जो अनइ हे जलखीर प्रसंग परउपगारह कारणइ आपणइ हे दुखाडई अंग... १२८ प्री० प्रीवली कहई चंदा सांभले पान फोफल के चूनारउ भंग आप करीवई कटकडा नर परनई हे उपायई रंग... १२९ प्री० चंद कहई सुंदरी थारई मनि हे मो रहीयां लाह पिण का अक छई विरहणी तिणरई घट हे मो दीठा दाह...१३० प्री० वेल दिरीखी सहूं नही तिण कारणि मुझ सीख समापि संजोगिणि चढती कला तुझ होज्यो हे मुझ वचन सुधापि.. १३१ प्री०

Loading...

Page Navigation
1 ... 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156