Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७६
चालि- जिनआण वहई निज सीस चित्त सूधो विश्वावीस
देहरई मुनिसुव्रत सामि प्रणमई शुभ मन हितकामी. दूहा- बीजा खंड तणी भली त्रीजी ढाल रसाल ।
वेधक मन वेधी जस्यइ सांभलता ततकाल. चालि- ततकाल चतुर मन वेधई जीव माहि घणो अति खेधे
कहई कवीयण जे उपगारी परदुखे दुखीया भारी. दूहा- कटक सहु भेलुं करी चढीउ कुमर उणाहि
रथ उपरि सोभई धजा लहकंती दलमाहि. नयनाला बहू वाहला अटवी खोह अपार विशमां मारग लंघीआ तोरण गढ प्राकार. वहिलां दिनकर आथम्यो चंद्र करई सुप्रकास प्रथम प्रयाणइ ऊतर्यां मानसरोवर पास. तंबू डेरा ताणीआ अति ऊंचा आकाश ऊतारा कीधा तिहां गज रथ घोडालासि पागथियां पहिलपणइ सहू उतरीयो साथ चउकी हूंसीयारइ करइ गुरु जगदाले हाथी. काहल सब डरामणो भीषण अनई भयाल सुणतां कायर कमकमइ पेट ध्रसूकाइ] फाल. कुमर विचालई ऊतर्या पाखल फिरत कनात हेठलि जाजिम पाथरी दुल्लीचा विख्यात. सुंदर सोहई रावटी मुखमल केरा पाट सखर काथीपा चंद्रूआ माहि बिछाही खाट. आप कुमर पोढउ तिहां कपडकोट आवास अंतरजामि आपणा पासई मित्र खवास. बईठां सुख वार्ता करई गाहा गूढ विचार तिणि अवसरि के पंखीआ बोल्या रान गफारि. मित्र भणी पूछइ कुमर ओ पंखी कुण नाम राति समई बोलई जिके अटवी माहि अकाम.

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