Book Title: Anusandhan 2019 01 SrNo 76
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जान्युआरी- २०१९
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सीस चडावी आगन्या मन समरी नवकार वहिल चडी बइठी सती दासीसुं निरधार. रथ खेडीने चालिउ अटवी माहिं पहूत्त जोअण बार तणइ पहइ दंडकारण्य प्रभुत. रथ खंचीनई ईम कहई हे सुंदरि रथ छंडि मूंकिसि हूं तुझनई ईहां बीजी कांई म मंड. ईम कहीनई छोडी सती एकलडी निरधार बीजी दासी बापडी त्रीजो सील आचार. पीहर मारग पाधरो वलीउ सोय वातइं(?) जाणई ति करिजे हिवई जे वली आवई दाई.
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ऊभनई राखे रायका सांकडी रे... ए देशी
राग - मारु (ढाल-६) अबला मेल्ही वनमांई ओकली रे
विण गुनही विण दोस सुख दुःख तिणरा कहउ कुण जाणसई रे
मनमांहि सई सोस... कर्म न छूटइ को कृत आपणा रे
जीवई कीधां जेह ईह भव पर भवरा विसुआं भला रे
भोगविआं विण तेह... कर्म न... सतीय विमासई ईम बईठी थकी रे
केही दिसि परीआण करतां चित्तनई रुडं संभवई रे
___जाईजई तिणि ठाणि... कर्म न... पीहर जातां किम सोभीजीई रे
माथइ अपयश सूल आणीने इ परमेसरई नाखीयुं रे
देव थयो प्रतिकूल... कर्म न...
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