Book Title: Anusandhan 2011 06 SrNo 55
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 13
________________ मई २०११ संजइणिम्मिअरई विरइअविरई संति रसां रसावई अइवरपयई ॥१८॥ ललिअयं ॥ सुमुहप्पह सलिलरुहपहाविहसणसाहणप्पहिअं पणयाणयमणुअमणुअवइणिम्माविअअणप्पहिअं । चउतीसणिरतिसा(सया)इसयअइसयविसररमासहिअं अजिअं पुण संतिजिणं पणिवइमो सुर[र]मणीमहि ॥१९॥ किसलयमाला ॥ णयणजुअविजिअखंजणं मोहजोहकयभंजणं । माणवाण मणरंजणं विहिअसिद्धिअहिसंजणं ॥२०॥ सुमुहं ॥ अहयं अहयं अहयं अहयं सुहयं उहयं पि जिणाण णया ॥२१॥ विज्जुविलसिअं ॥ जुअलं ॥ सावया साविआय सुद्धभावभाविआ, अजिअ-संतिजिणचलणजुअलपूअणमणुदिणं पकुव्वंता पणया ण वडंति अवारभवकूवमज्झे ॥२२॥ वेढो ॥ जलरुहगेहा सोहणपेहा निहिलअगेहा मयकयवेहा । बहुविहमेहा हणिअसिणेहा बहुदुहलेहा विहिअसिणेहा । मयदवमेहा मोहणपेहा गुणिअणरेहा जणिअजणेहा । णयणरलेहा महिअअदेहा णिरुवमदेहा हयसंदेहा ॥२३॥ रयणमाला ॥ अजिअसंति परमिट्ठिणायगा हुंतु ते मह सुहस्स दायगा । वयणणिज्जिअरयणिणायगा दाणसीलतवभाववायगा ॥२४॥ खित्तयं ॥ जुअलं ॥ मंगलावलिलयाबलाहगा सव्वुदग्गउवसग्गसाहगा । संजमाण ण मणा विराहगा सग्गमुत्तिवरमग्गवाहगा ॥२५॥ खित्तयं ॥ माणवाण मयभेअविहाणा रोगसोगहिंसगअभिहाणा । मोहजोहमुहरोहपिहाणा सोहमाण वरनाणपहाणा ॥२६॥ दीवयं ॥ अमिअअमिअसमवाया विहणिअणिरयअवाया । जाण अमाणव-माणव-दाणवपणमिअपाया ।

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