Book Title: Anusandhan 2011 06 SrNo 55
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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मई २०११
सिलोगपुण्णलोयाणं ताणं समवलोअणं ।
ताणं निम्मललोआणं कयनिम्मललोअणं ॥३॥ सिलोगो ॥
अरयमयप्पयारणे मह विबुहप्पडिबोहकारणे ।
कणयकयकयप्पयारणे पणिवइमो सइ जिणिदवार ||४|| मागहिआ ॥
मयणुम्मयणुग्गमणुम्महणे मयणासहणं
अजिअस्स य संतिजिणस्स अवस्स गुणग्गहणं ।
पकुणंति जणाण गणा विहिणा णिरया सहणं
सहलं इह होइ हु ताण सपा (या ? ) णसमुव्वहणं ॥५॥ आलिंगणयं ॥
अजिअं जिअमोहजालयं कलिमस्स जलणुव्व जालयं ।
पुण संतिजिणं गुणालयं सइ समरेमि जिआण पालयं ॥ ५ ॥ मागहिआ ॥
रमणिमणिमणणविरमणजणयमणुअसणं
निअभणिअवयणविहणिअअमिअमणहचरणं ।
समणमणिगयणविमुणिअणहमणिअणुसरणं
णमयमयपमयमजिअमहिलजणा जणमणहरणं ॥७॥ संगययं ॥
कारयकारयमारयवारयसारवई
सावयतावयआवयलावयभावरई ।
दिज्जउ निव्वुइरज्जमवज्जविवज्जणई संतिवई विअ सेवयदेवयदेववई ॥८॥ सोवाणयं ॥
सम्मत्तवित्तिरत्तकित्तिअवरुत्तिजुत्तिसहिउत्तरुत्तमसुत्तयं
५
अमिअकित्तिकंतं विहलिअलीलावईवरविलासहासणिवासभासिअं । पुण्णपण्णयं विण्णभिण्णदिण्णं देवदणुअमणुअणिअरमणरंजणं अजिअतित्थणाहमह य संतितित्थणाहं विणयपणओ थुणामि सवणसवणिज्जरमणिज्जणामगहणुब्भ (?) यजणियसयलसिवं ॥९॥ वेढो ॥ अजिअस्स य संतिजिणस्स य सप्पणयं नपुंसणयं । तुरिअं दुरिअं हरउ छज्जीवणिकाय अहिवइणो ॥१०॥ रासालुद्धो ॥

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