Book Title: Anusandhan 2011 06 SrNo 55 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 9
________________ मई २०११ पइपडिमपुरो दो दो नागपडिम जक्खभूयकुंडधरा । दुहओ दो चमरधरा पिटे च्छत्तधरपडिमेगा ॥१८॥ तह घंटा चंदणघडा भिंगारयरिसियाइसु । पइट्ठाइ पुप्फाइणेग चंगेरि पडल छत्तासणाई तहा ॥१९॥ इय सुत्तवुत्तमाएसओ य दुपुक्खरणि अंतरे दो दो । रइगरगा बत्तीसमेसु पुव्वं च जिणभवणा ॥२०॥ वंदंत नमंत अभिथुणंत पूयंत इंतजंतेहिं ।। खयरसुरेहिं अरहिया पुन्नतिहिमहमहिंकरेहिं ॥२१॥ तह जोयणसहस्सुच्चा विक्खंभायामसमदसहस्सा । झल्लरिनिभा रइकरा रयणमया विदिसि दीवंतो ॥२२॥ तेसिं चउन्ह दिसासुं जोयणलक्खम्मि जंबुदीवसमा । अट्ठट्टरायहाणी सक्केसाणग्गमहिसीणं ॥२३॥ विमलमणिसालवलया ताणं मज्झे पुणो वि(?)जिणाययणा । जिणपडिमापुव्वमिवेह अणोवमा परम[रम]णिज्जा ॥२४॥ इय वीसं बावन्नं जिणे(ण)हरे गिरिसिरेसु संथुणिमो । इंदाणिरायहाणिसु बत्तीसं सोलस य वंदे ॥२५॥ _नन्दीश्वरस्तोत्रम् ॥ भद्रं भवतु श्रीसङ्घाय ॥Page Navigation
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