Book Title: Anusandhan 2011 06 SrNo 55
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 8
________________ २ अनुसन्धान-५५ भूमितलदससहस्सा चउणवइसया य सहस्समुवरितले । पिहुला अडवीसं सत्तिगं दसंसो य खयवुड्डी ॥४॥ पुव्वदिसि देवरमणो निच्चुज्जोओ दाहिणद (दि) साए । अवरदिसाय सयंप्पभ रमणिज्जो उत्तरे पासे ॥५॥ अंजणनगाउ चउदिसि जोअणलक्खम्मि लक्खविक्खंभा । पुक्खरिणीओ य सहस्सं पहानिम्मलच्छसच्छजला ॥६॥ नंदिसेणा अमोहा य गुत्तभा य सुदंसणा । नंदुत्तरा य नंदा [य] सुनंदा नंदिवर्द्धणा ॥७॥ भद्दा विसालभुमया बारसी पुंडरिगिणीया । विजया य वेजयंती जयंती अ अपराजिया ॥८॥ पुव्वाइक[य]नामा पुक्खरिणीणं तओ य पंचसए । गंतूण लक्खलीहा-वणसंदा (डा) ए पंचसयपिहुला ॥९॥ पुव्वेण असोगवणं दाहिणओ ताण सत्तवन्नवणं । चंपगवणमवरेणुत्तरेण सव्वाणुभूइवणं ॥१०॥ पल्लसमा जोयण दस सहस्समोगाढा ( ? ) । चउसट्टिसहस्समुच्चा फलिहमया पुक्खर (रि) णिमज्झे ॥११॥ सोलस दहिमुहगिरिणो अंजण - दहिमुहनगोवरितलेसु । जोयणसयदीह तहद्धवित्थडा दुगसयरिमुच्चा ॥ १२॥ बहुविविहरूवरूवग-विचित्तवित्थिन्नभत्तिसयकलिया । पत्तेयं जिणभुवणा तोरणजुय मंगलाइजुया ॥ १३॥ देवासुरनागसुवन्ननामगा नामसमसुरारक्खा । दारा सोलद्धद्धुच्चपिहुपवेसा य चउरो सिं ॥१४॥ पय (इ) दारं कलसाई मुहमंडव - पिच्छमंडवक्खाडा । मणिपीढषू(थू)भपडिमा - चितरुज्झय पुक्खरिणिओ य ॥१५॥ अट्टुच्च सोलसावि य पिहुला मणिपीठिया जिणहरंतो । तदुयारिंग देवच्छंदा रयणमया सेहियपमाणा ॥१६॥ तत्थुसभवद्धमाणा चंदाणण वारिसेणनामानं । सासयजिणपडिमाणं पलियंकनिसन्नमट्ठयं ॥१७॥

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