Book Title: Anusandhan 2011 06 SrNo 55
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 131
________________ मई २०११ १२५ ४.८ लेखनशैली : सूचिकार हस्तप्रत-लेखनशैलीथी अनभिज्ञ होय तो पण अनेकविध समस्याओ पेदा करी शके छे. उदा. तरीके हस्तप्रत लखवानी पद्धतिओ जेम के द्विपाठ, त्रिपाठ, पंचपाठ वगेरे. अटले के मूळ पाठ कयो अने टीका कई छे तेनो भेद पारखतां आवडवू जोइओ. क्वचित पृष्ठ संख्या आंकडामां न दर्शावतां संज्ञात्मक अक्षरोमां दर्शाववामां आवे छे. उदा. तरीके स्व ०=१०, स्ति o=२०, ओक o=४०, स्व ० ०=१००, स्व स्व ल=११५, अक ० ०=४०० वगेरे. ध्याने लेवू के आ अक्षरांको सीधी लीटीमां नही परंतु उपर नीचे लखवामां आवे छे. ग्रन्थनी समाप्ति थये 'भले मीडां' अने अन्य चिह्नोनो प्रयोग, ग्रन्थारम्भनां चिह्नो, लेखनवर्ष के रचनावर्ष दर्शाववा शब्दांकोनो प्रयोग वगेरेथी सूचिकार सुपरिचित होवो जोईओ. अन्यथा सूचि भूल भरेली बनी रहे छे. आगमप्रभाकर मुनि पुण्यविजयजीओ 'भारतीय जैन श्रमणसंस्कृति अने लेखनकळा'मां लेखनशैली विशे विगते समजूति आपी छे. अहीं नोंधेल उदाहरणो प्रस्तुत ग्रन्थना आधारे आपेलां छे. उदा. तरीके बोस्टन म्युझियममां संगृहीत अक प्रतमां 'चंद्रगजरसधरा' शब्दांकोना माध्यमथी वि.सं. १६८१नो निर्देश करवामां आव्यो छे. ४.९ छूटां पानां : प्रायः हस्तप्रतोनी बांधणी करवामां आवती न होवाथी ते छूटां पान स्वरूपे जोवा मळे छे. परिणामे कवचित केटलांक पान ओक-बीजामां भळी जवाथी के छूटां पडी जवाथी मूळ कृति साथे मेळ बेसाडवामां प्रश्नो पेदा थाय छे. घणां भण्डारोमां आवां छूटां पाननी समस्या जोवा मळे छे. ४.१० सूचिकार माटे आवश्यक साधनिक स्रोतोनो अभाव : सूचिकरण माटे विविध प्रकारना सन्दर्भग्रन्थो जेमके विश्वकोशो, वाङ्मयसूचिओ, शब्दकोशो, लेखककोश, निर्देशिकाओ, विवरणात्मक सूचिपत्रो वगेरे अनिवार्य बनी रहे छे. जेनो उपयोग ओछो थतो जोवा मळे छे. संस्कृत हस्तप्रतोना सूचिकरण माटे 'New Catalogus Catalogorum' अेक महत्त्वपूर्ण आधार स्रोत छे. परंतु ते पूरेपूरो तैयार थयो नथी, तेमज बीजी मोटी समस्या ओ के मोटा ग्रन्थालयोमां पण तेना केटला खण्डो उपलब्ध हशे ते शोधq

Loading...

Page Navigation
1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158