Book Title: Anusandhan 2011 06 SrNo 55
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 143
________________ मई २०११ नोंध, कृति प्रकाशित के अप्रकाशित, वैविध्य सूचिओ वगेरे सम्बन्धी विस्तृत माहिती वर्णनात्मक स्वरूपमां आपवामां आवे छे. उदा. तरीके India Office Library के जर्मन स्टेट लाईब्रेरीनुं अ. वेबर (१८५३) द्वारा तैयार करेल केटलोग आ प्रकारनां उत्तम उदाहरणो छे. युरोपनां बधां ज सूचिपत्रो तथा ओशियाटिक सोसायटी, भण्डारकर इन्स्टिट्यूट, पूना, प्राच्यविद्या मन्दिर, वडोदरा वगेरेनां सूचिपत्रो आ प्रकारनां उदाहरणो छे. सूचिपत्रना अन्तमां विविध सूचिओ पण आपवामां आवे छे. १३७ ६.८ संघसूचि (General Register of works and Authors) कोई क कृति के कर्तानी कृतिओनी हस्तप्रतो क्यां क्यां (अंगत के संस्थागत संग्रहोमां) संगृहीत छे तेनी माहिती दर्शावतुं सूचिपत्र ते संघसूचि. सौ प्रथम Theodor Aufrecht नुं Catalogus Catalogorum (1891-1903) आपणने मळे छे. त्यारबाद के . का. शास्त्री सम्पादित गुजराती हाथप्रतोनी संकलित सूचि (१९३९), ओच. वेलणकर कृत जिनरत्नकोश (१९४४), वी. राघवन वगेरे द्वारा संपा. New Catalogus Catalogorum (1949 - ....), Catalogus Catalogrorum of Bengali Manuscripts (1978) वगेरे आ प्रकारनां उत्तम उदाहरणो छे. कोई कृतिनी चिकित्सक आवृति तैयार करवा माटे ते कृति क्यां क्यां संगृहीत छे ते जाणवा माटेनो आ ओक उत्तम स्रोत छे. साथे साथे तेनी प्रकाशित आवृत्तिओनी माहिती पूरी पाडवामां आवती होवाथी संशोधको माटे आ ओक महत्त्वपूर्ण स्रोत बनी रहे छे. आ प्रकारनी सूचिमां कृति अने कर्ताना वर्णानुक्रममां अधिकरणो गोठववामां आवे छे तेमज कृति के कर्ता विशे आवश्यकतानुसार माहिती पण आपवामां आवे छे. ७. उपलब्ध सूचिपत्रोनी वास्तविकताओ : ७.१ हस्तप्रत सूचिकरण माटेनी नियमावलि के चोक्कस मार्गदर्शन के सूचिपत्रो विविध प्रकारना उपभोक्ताओने उपयोगी थई शके तेवी दुरंदेशितापूर्ण दृष्टिना अभावना कारणे जे ते समयनी परिस्थिति अने आवश्यकताने ध्याने लई सूचिपत्रो अस्तित्वमां आव्यां छे. आ विचार साथे सुसंगत तेमज भारतीय अने विदेशीओ द्वारा तैयार करवामां आवेलां सूचिपत्रो वच्चे मोटा तफावतना सम्भवित कारण सम्बन्धी जर्मन पौर्वात्यविद् K. L. Janert नुं सुचिन्तनीय

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