Book Title: Antim Tirthankar Mahavira Author(s): Shakun Prakashan Delhi Publisher: Shakun Prakashan Delhi View full book textPage 8
________________ करके नहीं देखा जा सकता। यही बात भगवान महावीर ने भी कही है। तिस पर भगवान महावीर तो ढाई हजार वर्ष पहले इससे आगे की बात भी कह गए हैं, जो प्राज की वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरी उतरती है कि 'समय और परिस्थिति के अनुसार प्राप अपने विचारों में परिवर्तन ला सकते हैं।' उन्होंने कभी कट्टरपंथी की भाति कोई बात जन-जीवन पर थोपने का प्रयत्न नहीं किया, वरन् सत्य की खोज करने के उपरान्त जिस निष्कर्ष पर पहुंचे, उसे सर्वत्र तर्क और शास्त्रार्थ की कसौटी पर कसने के लिए तत्पर रहे । यही कारण है कि उनका 'सत्य' आज भी चिरन्तन है पोर गहन-से-गहन रहस्यों को खोलता प्रतीत होता है। प्रस्तुत पुस्तक का प्रकाशन इसी दृष्टि से जनसाधारण के लिए किया गया है कि पाठक और विद्वमंडल मानव-जीवन बोर संसार की वास्तविकता को समझने के साथ ही, भगवान महावीर की उपलब्धियों को भी संक्षेप में समझने का प्रयत्न करें। -सुभाष जैनPage Navigation
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