Book Title: Antim Tirthankar Mahavira
Author(s): Shakun Prakashan Delhi
Publisher: Shakun Prakashan Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत पुस्तक भगवान महावीर के जीवन-वृत्त पर आधारित है । उन्होंने कैसी-कैसी कठिनाइयों एवं दुर्गम मार्गों पर चलकर सत्य की खोज की और किस प्रकार बाधाओं और यातनाओं का शान्तिपूर्वक हंसते-हंसते सामना किया, यह इस पुस्तक को पढ़ने से स्पष्ट हो जाता है । साथ ही इसमें भगवान महावीर के सूक्ष्म जैन-दर्शन और आदर्श-पथ को उन्हीं के शब्दों और उपदेशों में इस प्रकार व्यक्त किया गया है कि जीवन की गूढ़तम गुत्थियां आप-से-आप सुलझती चली जाती हैं । संसार के रहस्यों से पर्दा उठता चला जाता है और दिव्य-ज्ञान की गहराइयों में आत्मा स्नान करने लगती है । इस दृष्टि से, इस पुस्तक का महत्त्व न केवल जैन-मतावलम्बियों के लिए ही सिद्ध होता है, वरन् यह सम्पूर्ण मानवसमाज के लिए कल्याणकारी मार्ग दर्शाने का कार्य करती है। ___ सत्य-अहिंसा का जो अर्थ कलियुगीन अंधकार में कुछ लोग समझ रहे हैं और जिस रूप में गहन चिन्तनों की इस महत्तम विचारधारा को वे देख पा रहे हैं, वह वास्तविक है या नहीं इस पर भी यह पुस्तक पर्याप्त प्रकाश डालती है। जैन-धर्म की वास्तविकता को आज भी संसार में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से देखा जाता है। परन्तु यह सभी एकमत से स्वीकार करते हैं कि अन्य दर्शनों में इसका पृथक् स्थान भी है और महत्त्व भी। जहां तक 'सत्य' का प्रश्न है इस बात से संसार भर के चिंतक पौर दार्शनिक सहमत हैं कि 'सत्य' केवल एक है और उसे टुकड़ों में विभक्त

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 149