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४६१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नलिष्यते सांवलाकाबीजटंक ५ त्यांनैजलमै भेयवांटिद्धांएगी त मैंस हतमिश्रीनांषिराजीनांदिन १५ पीवैतौ सुपेदपैरकोरोगजाय ५ अथमूत्रातीसारकोल क्षणलि० सोमरोग घणादिनरहैतदिमू वतीसारहोय ईसूत्रतीसारमैं बलजातोरहै परभूंनघणों उनरै६ अथमूत्रातीसारकोजतनलि • तालवृक्षकीजड छपा रा महलौठी विदारीकंद यानमिहीबाट ईमेंसहन मिश्री मिलायट का भररोजीनांषायती सूत्रातीसारजाय ७ अथवा पंवाडकीजड नैं चावलांकापाणीसूंपीवैतोमूत्रपति सारजाय अथवा सुपेदमू सठी तालहक्षकीजड छ्वारा पक्काकेला यांनदूधसंपीवैतौ मूत्र तिसारजाय ९ अथप्रदर काऔरजननलि० उंदराकीमींगली टंक या ईमैंबराबरिकी मिश्री मिलायटूथसूंदिन ३ पीवैतौस्वीका लालूसुपेदसारीतरैकापैरच्छ्याहोय १० अथवा धानड्याकाकूल बीजाबोलयूंसा की मांगणी येबराबरिलेयांनोंमहीं वांटि ईमेंमिश्री मिलायरंक २॥ जलसूंलेतौ प्रदरकोरोगजोय ११ इतिप्र दररोग की उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् अस्त्रियांकी योनिरोग की उत्पत्तिलक्षणसंष्यालि• स्त्रियकैमिथ्याहार मिथ्याविहारकारिकैं वायपित्तकफहैसो दुष्टहुवाथका स्त्रीयांकी योनिके विषैरोगनैकरैछे सोस्त्रियांकी योनि कैविषैवीशप्रकार कारोगछे त्यांकानांमलिष्यते उदावर्त्त १ वंध्या २ विष्ठता ३ परिपुना ४ वातला ५ लोहितक्षरा ६ दुःप्रजाविनी ७ वामिनी पुत्री पि तला १० अत्यानंदा ११ कर्णिनी १२ कर्शिका १३ अतिचरणा १४ मन चरणा १५ अनार्त्तवा १६ अस्तनी १७ षंडी १८ अंडनी १९ विद्दत्ता २० सूचीवका २१ प्रथस्त्रियां की जो निकालक्षणलि जोस्त्री
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