Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 535
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ । योसंचयप्रकोपशांतिपणों वायपित्तकफको आहारविहार होय छै अरयेहाविगरिसमैापहि शांनिहोजायछै अथवावायकाको पकरियाप्रहारविहारलिक हलकीवस्तलषीरस्त थोडीयस्तय निसातलवस्त अनिषेदते संध्यासमैकामेथुन सोचकरभयकार चिंताकरिरातिकागिरवाकर चोटकालाशिवाजलकातिरवाएं अन्नकोजीर्णहोबो धातकाषीणपणांसूअरयां आदिलेरऔर मीकारणती वायकोपहोयतदिवायकाकोपकाइरिकरिवाकाज तनकरैतदिशातिहोया अथपित्तकाकोपकरिनाकाबहारवि हारलि.करवी पटाईलएागरमनीषीयेजोवस्तपरिणषायती करि क्रोधकरियासू तावडराने पाहिलेरगरमवस्त मध्यान्हकैस मैं भूषकाअरतिसकारोकिवा अन्नकाअजापहवाथकायांका रणांकरियाधिरातिसमेंपित्तहेसोकोपकँप्राप्तिहोयछै अरपि तकारिकरिवाकाजतनांमूपित्तकीशांतिहोयछै२ अथकफ काकोपकारवाकाबाहारविहारलि०मागळसूचीकणार व्यसंसानलभोजन दिनकासोवासू अग्निकामंदहोबा प्रभा नसमेंभोजनकरांपाछेपेदईनैादिलेरोरगत्यां कफ कोपकूप्राप्तहोय? अरकफकाकोपकारिकरियाकाजतन क फकिशांतिहोयडै २ अथहिमरितुकासेबाकाबाहारविहा रलि भैसकोगउकोनवीनतमीगेगुड मागेदहींलगतेल कोमर्दन निल गोहूंउडर मित्राने आदिलेरमागेद्रव्य ठिसंयुक्त हरडे रुई निर्वातस्थान नवीनवस्त्र नचीनस्त्राईपादिलेरवाडी वस्त ४ इतिहिपरितकाअाहारविहारादिक अथसिसिरि तुकाप्राहारनिहारलि. पापलिसंयुक्तहरडै मिरविवादोम्बी For Private and Personal Use Only

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