Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 547
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४. अमृतसागर तथापनापसागर तरंग २५ जोत्रम्हपरमात्मातीकाप्रकृतिनाममायाछै सोवापरमात्माकीमाया नित्सडै जैसैंमर्यकीप्रतिछायानामप्रकाश सोचाब्रम्हपरमात्माकी मायाहे सोजडमरचैतन्यजोपरमात्मातीकासंजोगकरिईअनिस संसारयामायाकरताहईनटकाष्यालकीसीलाई अरयासंसारका मानाजोपहतिसोप्रथमबारनै उपजावनीहई बुद्धिकैसीकरछामई महातत्वजीकोरुप पाछेमहतत्व अहंकारउफ्जनोहगो पाछैनो अहंकारनीनप्रकारकोइवोरजोगुणसनोगुएरा तमोगुणमई पा छैसतोगुणरजोगुरासंमिलिदशइंदियां पैराकरताहवा अरमन भीयांदोन्याहीपेदाहुदो अथदशरंद्रियांकोस्वरुपलिकांना . त्वचारनेत्र जिव्हा४नासिका५येतोपांचज्ञानेशाकाहाय७ पग-लिंगरगुदा येपांचकर्मेदिछै नमोरगाहसोपणांसतोय एसूमियोजोअहंकार तानेपंचतन्मात्राउपजनाहुवा अथपांच तन्मात्राकानामस्वरुपलिय शब्दासर्शरूपरस४गंध५ यांनतन्मात्राकाहजै पाछैतन्मात्रा पंचमहाभूतपेदाहुवाशसं तोआकाशनोस्पर्शतन्मात्रा वायपेदाहबोररूपतन्मात्राएं अग्निपेदाहोरसतन्मात्रासूजलपैदाडवो गंधतन्मात्रासंघ वीपेदाङई५अथज्ञानेंद्रियांकाविषयलि. कोनकोविसयश ब्दलचाकोविषयस्पर्श नेत्रकोविषयरुप३जिहाकोषिसयस शकोस्वादनासिकाकोविसयसुगंधिदुर्गधिकोग्रहणकरियो अथकर्मेंद्रियांकाविसयलि वालिकोविसयबोलीवो हाथको विसयग्रहणकरियोरपगाकोविसयचालिवीरसिंगकोरिषयमै थुन ४ गुदाकोविसयमलकोप्राधानरत्याग५अथाहतिकानामलि प्रधानाप्रतिरशक्ति३नित्या४विरुति ५शक्तिहसो For Private and Personal Use Only

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