Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
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५४३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ नीसरेनदिवेनेबालकहपोकहेछैअरवेसमैरवीशरजअधिकहोय तोकन्याहोय अरपुरसकोवार्यअधिकहोयतोपुत्रहोय अरसमैस्त्री अरपुरुसकोरजअरवार्यबराबारहोयतोनपुंसकपेदाहोय पाछेप रमेश्वरकोइछाहोयसोहीहोययोलियोनियमछे होयअरनहींवाहो य अथबालबनेग्रौषदिदेवाकीमात्रालिमहीनांयेकोबाल कोयतो रती ओषदिदीजै दूथसहनमिश्रीयांसाधिपाछेज्यू ज्यूंचालकपथैनदिमहीनायेकेकरतीयेकेकोषदिषधाजेपेकचर सताई पाछेवरससोलानाईक्ष्मामोयेकेकोपदिदीजै पाछेत्री पदिदेवाकीमात्राअतनीराषिजेवर्ष ७० नाईगाडेबालकवीसीनाई ओषदिकीमात्राघरायदीजै योतोलकल्कचूर्णाकोडेअरका टाकोतोलईसंचौगुगोजासिलोज्यो अरबालकहोयसरियालककै काजल उवटपोस्नानकरावोकीजे अरमहीनांकीमहानैबालक. यमनकरायदाजे अरहरडेकायूटीरोजीनांदीजे अरअन्नकोग्रास पांचवैवरसीजेपरजुलाबसोलावरषउपरांतरजै अरमैथुन वीसवर्षउपरांतिकाजे ईविधि मनुष्यचालैनोईकैरोगकदेहोय नहीं पाईकैजराफदेवनहीं अथमनुष्यकाशरीरकीगति लिवरसरशनाईनोचालकपणोरहेछै वीस वर्षपर्यतईकोषध गापोरहैडै तीस वर्षपर्यंतशरीरकोमोरापोरहेछै चालीस४० वर्षपर्यंतमनुष्यकेद्धिकोयागमरहेछ पचासवर्षपर्यतमनुष्य काशरीरमैत्वचाकोगादापोरहेछै वर्षपर्यतनेत्रकाजोनिमाडीरहे डै वर्षपर्यनयनुष्यकाशरीरमवार्यरहे. वर्षपर्यंतमनुष्यकाश रीरमैवार्यकोआधिक्यपगगरहेडै ९०वर्षपर्यनबाडीतरैग्यामरहेडै सोप००वर्षपर्यनबोलिबोहाथपगांमैबलमलमूत्रकात्यागकोग्यान
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