Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ हीअरदेहविषेसारयांहीकोडै अथमर्मस्थानकोस्वरुपलिष्य जीवकाधारवावालामर्मस्थानहींछै। अथनसाकोस्वरूपलिष्यः संघिसंधियां बंधिछै अरवायपित्तकफअरसातूधातयांनभाये होनसांचहेछेअथधमनीनाडीकोस्तरुपलि धमनीनाडीरस मैंबहेछै अरपवननैवहेछै अथमांसकीपीडीकोखरूपरिष्य. सर्वसंक्डीनसांतीनैकंडराकहिले सोसोलाछे १८सोवैसाराअंगां नेपसारिदेछै अरसंकोचकारले अथरसरंध्राकोस्वरुपलि. नांककैदोयछेरछैने कैदोयछेरछैकानांकेदोयछे? लिंगगु दा मूंदो यांकैयेकेकछिद्रछे येकमतगॉछदछै अरस्त्रीयांकेती नअधिकछे दोयस्तनमैं येकगर्भासयमैऔरईशरीरमैसूक्ष्मरोम रोमछिदअनंतछै नाभिकैकनेवाईकांनीफुफसछै अराहना मफीयोछैपरनाभिकैक.जीपणाकानीयकृतछे उद्दानवायको
आधारनीने फुरफुसकहिजेपरलोहानै बहबालीजोनसांत्यांको सूउपशाहनामफीयोछे अररंजकनामजोपित्ततीकोजोस्थान तीविषैजोरक्तकोस्थानतीयकृतकहिजै नामिकावामभाग, विर्षेअग्न्यासयकैउपरजोरोतिलछै सोजलनेवहवापालीजो नसांत्यांकीमूलछै अरमोतिलतिस.दकिदेछै अरकूषिमैजो रोयगोलात्यांककहिलेसोवेदोन्यूंजरकोजोमेदतीनंपुष्टक रै अरषराजोपोतासोवीर्यवहयावालीजोनसांत्यांकामा धारछै अरये पुरुषार्थकावबावाला अरलिंगगर्भकोदेवा वालोछे अरवीर्यमूत्रयांकोयरे, अरहियोमनचित्तबुदिअहं कारयांकोस्थानछै अरोजकोघरछेअरनाभिहेसोसरीजोधम नीनै आदिलेरनसांत्यांकोस्थानछे सर्वशरीरमेवेनसांफेलिरहेछै
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590