Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 546
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५३९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ नाभिसूअरसर्वधानांकासंजोग नाभिकोजोवायछे सोसर्वशरी रकूपुष्टकरैछै अरनाभिकोजोपवनडै सोहियाकाकमलमैजाय ये कोस्पर्शकरिवंउकैबारैजायछै न्यूंविष्णुपदकोजोअमृतती.पीवा नैनासिकारा पाछेयोनासिकाहाराकोपरनसोपाकासका मृत पीकार फेरूंमुषनासिकाराकंटउगैरैउदरमेंायप्राप्ति होय, वेगकारकै पाछेयोपवनसंपूर्णदेह,अरजीवने अरजररानलनैपुष्टकरे, अरशरीरकीअरहदाकीपाएपवनजोसंजो गनींनेआयुर्बलकहिजेअरकहींसमेंयांदोन्यांकोसंजोगडूरिहोय तीनमरणकहिलैईपृथ्वीविकोईप्राणीअमरनहींईकाराम त्यहेसोनिवारीनहींजाय वैद्यहेसोरोगांनेइरिकरे अरमनुयकेसा ध्यरोग? अरोमनुष्यपथ्यादिकनहींकरतो मनुस्यकेसायरो गहाजाप्यहोजाय अरमनुष्यकैजायरोगछैपरसोमनुष्यकुप थकरियोकरेतीजाप्यरोगहीअसाध्यहोय. अरोअसाध्यरोग हवोंयकोकुपथ्यकाकरिवानालामनुष्यनेनिश्चैमारिनांषेछै सो ईकारणथकामनुस्यचतुरहेसोरोगांथकीशरीरकारक्षाकरे कवि पाककोजाणिवायालो धर्मअर्थकाममोक्षयांच्यास्वाहीकोसा धनयेकयोमनुष्यकोशरीरहीछे जोपुरपईमनुयशरीरनैमारेती सर्वनैमावी अजिनमनुस्यसरीरकीरक्षाकरीत्यासर्वकारक्षाक रीअरसातूंधातअरसातूंधातांकामल अरवायपित्तकापेमारा हीबराबरिकसाथका ईशरीरमैशरीरसुषदेछै परयेसारापल्या वध्याधरकुपिननाथकाईसरीरकोनांसकरै इतिसातकला दिकोकाविचारसपू० अथमृष्टिकाउपजावाकोकयनसिष्यते संपूर्णत्रम्हांडकोकारगइछारहिन समित्यानंरस्वरूप असो For Private and Personal Use Only

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