Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 539
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५३२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ आछीतरपचिजाय पाछैसुगंधितपुष्पमाला अतरांड्यावस्त्र यांकोधारणकाजै षसकापंषाने आदिलेरपवनलीजे सीनलछा याभैरहजै भोजनकस्यांउपरांनिदोयघडीपीछे सीतलअरमीगे जलथोडोथोडोपीजे घोंपीयांरोगहोय अरभोजनकैयारिजल पावेतो अग्निकी मंदनाहोय भोजनके अंतिमैपावतीविषकोसोगु एकरै अरअजीर्णमैंजलपीवैनौ अजीर्णपचिजायअन्नपच्यापाछै जलपीतीशरीरमैंबलहोय अररात्रिकेअंतजलपीपैतीसर्वरोग जाय अरभोजनकरिटिजायतोशरीरमेंभारवापोहोजाय पर भोजनकरिसूधोसोरेनोबलहोय भोजनकरिगांवेंपसपाडेसोये नोआयुर्बलवथै भोजनकारदौडेतोवेंकीरालमोतिौडेभोजन कस्वांपाछेघडीदोयवाडेपसवाडेसोवैनांदलेनहींअथवाभोजन कस्वांपाछेपांवडासो१००चाले अरभोजनमंतगरकीहाछिपी तोगुणकाराछै रुचिमाफिकपीवै अरभोजनकैअंतसिषरणिमा उगैरैरुचिकारीभीवस्तषाय प्रथसिषरशिकीविधिलिन्चोषो रातिकोजमायोभैसकोनथागरुकोजमायोदहीले तीनैभथिछाणि ले पाछेदहीमैमिश्रीकोरोअरमिरचिइलायचीभामसेनीक पूरने आदिलेर अनुमानमाफिकइमॅमिलविअरइसीसिषरणीने पायती शकअरबलनेदेअश्यारुचिकरैपरवायपित्तकारोग मैंरिकरै इतिसिषरणिकरियाकाविधि भैसकादहीनेडाणि तीमेंसूरि मिरचि पीपलिराईलुपयांनमिहींपादिमिलाय अनु मानमाफिकषायतोकपचायनैरिकरैपरयोबलनेकरेछै पर सीतकालकैंचारहीषागो इतिमरठाकरवाकीविधि-संध्या समेइननीयस्तकराजेनहीं भोजनामैथुन निश्परिको ४ For Private and Personal Use Only

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