Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ यांकीपुर सानसानइसीतरेदै पाछैचाकीजाकाकादाकीपरमजी उकाकाटाकापुरसातसानदेतो अधकनिपटचोषोवणे अरयोअन्न करोजीनारतीषाय महीनांदोयर लाईनोपमेहनैंपादिलेरसर्व ग्रेगजाय परशरीरघलांपुष्ट करेअरनुकसपणापूरिहोय इति अभ्रकविधिः अथअभककाइसरी विधिलि-सुपेदभोडलले तांबराबरिगुरले नीगुडनैपागामघोलैजाडो पाछेभोडलकाप त्रांकैजामोजामोलेपकरेअरबांपत्राउपरिसोरोभुरकावतोजाय सोरोभोजडल आधोले अरभोडलकीतहकरतोजाय पाभी डलकातहर्नेछापांमैकिदेओभोडलपिलिजाय निश्चंद्रहोय योभीगुणकरेछ मात्रारतीयेककी इतिअभकविधिः अथ हरनालकोसोधनमारगलि. पीलीहरतालकापत्रकार अवें कीपोटलीकरि हांडीमैकांजीयालिडोलाजंत्र पहरयेकाताईप कायजै पाछेपेठाकोपागीहोडिौघालितांमैंडोलाजंत्र पहर। पकायजै पाछैचूनांकीकलीकापारपीमैपोटलीकरिडोलाजंत्र सूंपहरयार४ पकाइसीतरैहरताल पचायांहरतालशुद्ध होय अथहरतालकोमारवोलिष्यने ईसोधीहरनाल. षरलमैमिहीवांटि इधिकारसमै दिनदोयरपरलकरै पाछे षटीकारसमैंदिनदोयरषरलकरे पाछेईकोगोलोकरि छाया मैंसुकाय पाछैछीलाकाराष.हांडीमैदाविदाविभरेतीके जांचिईहरतालकागोलानैंमेलै पाछेईहांडीनैचूलैचढायनी चैअग्निबाले क्रम मंदमध्यपरगाढीअग्निदेरिन ३ताइनिरं तरदै नायूंवोनीसरियादेनहि अरबूंबानीसरेतौबूंवानेंछी लाकाराषसूंदावनोजाय पाडेसागसीतलहोयजदिइहरताल
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590