Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 521
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५१४ २४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग लागी होयजीनैं मेदवालाने भूषानें उदावर्तिनें वायकारोगीनें यानें चमनकराजेनहीं प्रथवमनविधिः भेदडीपतली धापिसुबाजेश्व रभेदडीमें दूध छाछिदहीयेनांषिजे अरनिपटपणीषुचाजैकंठपर्यं त पाउस धोलूश सहन वच येषुवाय ऊपरितातोपाणपाय ग लामैंयागुलीघालिवमनकराजे १ अथवा कुटकी ओरनीषीवस्त अथवामेंटलकोचूर्णगरमगरमपाणीसूले अथवा फिटकडीतमा बूउगैरैगरमपाणी सूंलेतोवमनहोय अथवानीबनमादिलेरकड वाइव्यसूवमन होयतो येपाकत्यासोसर्वरोगजाय अरवमन कस्वांपाछे जीभकैजीराउगेरै माडीवस्तलगाय अथवाविजोरा उगैरेच्याडीवस्तपाजे अंतरउगेरै माछीवस्तसूधिजै श्राख्यायाव्याभोजनकराजे इतिवमनविधिः प्रथविरेकनामजुला वतीकीविधिलि० प्रथमपुरषन विधिपूर्वकवमनकराजे पा केंपुरषर्ने पाचनद्रव्यदीजे बैंकाशरीरकाकफकारोगपचिजाय जातांई अरसरदरित वसंतरितु ईननि जुलाबदीजै अरजरू रजुलाबदीयांहींयाको रोगजाय नदिचा हिजैरनुमैंजुलाबदीजै अरइतनांरोगवालामनुष्यांनैनिश्चैहीजुलाबदीजे नदियेरोग जुलाबदीयांजाय जीर्णज्वर वालो जीकाशरीरमैमलको संग्रह हो य वातरक्तवालो भगंदर वाली बवासीरवालो पांडुरोगी उदररो गी गोलाकोरोगी हृदरोगी अरुचिकारोगवालो जोनिकारोगवा ली गरमीको रोगी प्रमेहको रोगी व्रणकोरोगी फोडाकोरोगी विसूचिकाकोरोगी नेत्रवालाको रोगी कृमिकोरोगी मूलकोरोगी कोढी कान कोरोगी नांसी कांकोरोगी सिरकोरोगी मूंडाकोरोगी सोथकोरोगी मूत्राघात कोरोगी यांरोगांवालो मनुष्यजुलाबले For Private and Personal Use Only

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