Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 530
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ लायधूंगीदेतो पिसाच राक्षसभूत प्रेत माफिराने आदिलेरसर्वदो षडूमिकरैजुरलैंडूरकरै इतिअपराजितधूप. अथमाहेश्वरधू पलि हींगदेवदारु वीलपत्र घृत गऊकाहाड कुटकीसरस्यूंनीब • सापांन माथाकाकेस सांपकीकांचली पिलाईकीविष्टगउकोसीग मेंडलोन्यूंकबालीकपासतुसबकराकारोमचंदन मोरगांषबक राको नयांनेवारियादमीकेधूणीदेतो पिशाचराक्षस गाकिणीभू तप्रेतसापचूडावकियांनादिठेरसर्वदोषरिहोय अरसर्वपका रकीजुरईधूप हरिहोय इतिमाहेश्वरधूप इतिहका प्रादि लेरसर्वधूमकाविधिः अथलोहीछडावांकाविधिलि आद मीकाशरारमेंयहेसोलोहीकाविकारनेभलेप्रकारदेषिवेंकोलो हासेरी तथासेराधा तथापावा तथाअधपापा-कटायजे अरसरदारितुमैतीविनाधिकारहीथोडोलोहीकदाजेतीमनुष्यकलोही कोविकारहोयनहीं अथशुइलोहीकोस्वरूपलिलोहीकोमीगे रसछे लालपाछे सीतल अरगरमयेदोन्यूंनहींछै अरभावो. चाकणोंछै अरडरगंथिनेलीयांडै अरयोलोहीदग्धहुनोथकोगरमी कासर्वविकाराकरेछे थरलोहीशरीरमैडष्टहोयजदिपीडहोयश शरपकिजाय दाहहोय शरारमैचारापडिजायपाजिहोय फणस्या होय सोजानेवादिलेरोरविकारहोय परलोहीशरीरमैवधिजाय तो नेत्रलालरहै अरमारीनसोरहै अंरशरीरभारयोरहै नींदपणीया वै-मेदवथै शरीरमैंदाहहोय अरशरीरमैलोहीसीएपडिजायतोष टाईका मिठाईकीचांडारहै मूर्छावैशरीरलूपोरहे शरीरकीनसां सिथलहोजाया परसायकरिडष्टजोसोहीतीकोलक्षगलियते अरुपरंगहोय मागावै कोरहोय अरजीकाऊतावलीचालतीस For Private and Personal Use Only

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