Book Title: Agam Suttani Satikam Part 24 Aavashyaka
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अध्ययनं-१ - [नि.९५१]
३७७
भणइ-दो मज्झ अत्थि रयणा सालि पसूई य गद्दभिया य छिन्ना छिनावि रुहंति एत्थवि ता मे होलं वाएहि, अन्नो भणइ-सयसुक्किलनिच्चसुयंधो भज्ज अणुव्वय नत्थि पवासो निरिणो य दुपंचसओ एत्थवि ता मे होलं वाएहिं, एवं नाऊण रयणाणि मग्गिऊण कोट्ठाराणि सालीण भरियाणि, गद्दभियाए पुच्छिओ छिंत्राणि २ पुणो पुणो जायंति, आसा एगदिवस जाया मग्गिया एगदिवसियं नवनीयं, एस पारिणामिया चाणक्कस्स बुद्धी ॥ .
थूलभद्दस्स पारिणामिया-पिइम्मि मारिए नंदेन भणिओ-अमचो होहित्ति, असोगवनियाए चिंतेइ-केरिसा भोगा वाउलाणंति पव्वइओ । रन्ना भणिया-पेच्छह मा कवडेण गणियाघरं जाएज्जा, नितस्स सुणगमडेण चावण्णेण णासं न गेण्हइ, पुरिसेहिं रन्नो कहियं, विरत्तभोगोत्ति सिरिओ ठविओ, थूलभद्दसामिस्स पारिणामिया रन्नो य ।। नासिकं नयरं, नंदो वाणियगो, सुंदरी से भज्जा, सुंदरिनंदो से नामं कयं, तस्स भाया पव्वइयओ, सो सुणेइ-जहा सो तीए अज्झोववन्नो, पाहुणओ आगओ, पडिलाभिओ, भाणं तेणं गहियं, इह पत्थवियउत्ति उज्जाणं नीणिओ, लोगेण य भायणहत्थो दिट्ठो, तओ णं उवहसंति-पव्वइओ सुंदरीनंदो, तओ सो तहवि गओ उजाणं, साहुणा से देसणा कया, उक्कडरागोत्ति न तीरइ मग्गो लाइउं, वेउब्बियलद्धिमं च भगवं साहू, तओऽनेन चिंतियं-न अन्नो उवाओत्ति अहिगयरणं उबलोभेमि, पच्छा मेरू पयट्टाविओ, न इच्छइ, अविओगिओ, मुहुत्तेण आणेमि, पडिसुए पयट्टो, मक्कडजुयलं विउव्वियं, अन्ने भणंति-सच्चकं चेव दिटुं, साहुणा भणिओ-सुंदरीए वानरीओ य कालट्ठयरी ?; सो भणइभगवं! अघडंती सरिसव्व मेरुवमत्ति, पच्छा विज्जाहरमिहुणं दिलु, तत्थ पुच्छिओ भणइ-तुल्ला चेव, पच्छा देवमिहुणगं दिटुं, तत्थ पुच्छिओ भणइ-तुल्ला चेव, पच्छा देवमिहुणगं दिटुं, तत्थवि पुच्छिओ भणति-भगवं ! एईए अग्गओ वानरी सुंदरित्ति, साहुणा भणियं-थोवेण धम्मेण एसा पाविजइत्ति, तओ से उवगयं, पच्छा पव्वइओ । साहुस्स परिणामिया बुद्धी ॥ .
वइरसामिस्स पारिणामिया-माया नाणुवत्तिया, मा संघो अवमन्निलिहितित्ति, पुणो देवेहिं उज्जेनीए वेउव्वियलद्धी दिन्ना, पाडलिपुत्ते मा परिभविहित्ति वेउव्वियं कयं, पुरियाए पवयणओहावणा मा होहितिति सव्वं कहेयव्वं ॥चलणाहए-राया तरुणेहिं बुग्गाहिजइ, जहा थेरा कुमारमच्चा अवनिजंतु, सो तेसिं परिक्खणनिमित्तं भणइ-जो रायं सीसे पाएण आहणइ तस्स को दंडो?, तरुणा भणंति-तिलं तिलं छिंदियव्वओ, थेरा पुच्छिया-चिंतेमोत्ति ओसरिया, चिंतेति-नूनं देवीए को अन्नो आहणइत्ति आगया भणंति-सक्कारेयब्बो । रन्नो तेसिंच पारिणामिया। आमंडेत्ति-आमलगं, कित्तिमं एगेन नायं अइकढिणं अकाले बिंबो होइत्ति । तस्सवि पारिणामिया। मणित्ति-सप्पो पक्खिणं अंडगाणि खाइ रुक्खे विलग्गित्ता, तत्थ गिद्धेण आलयं विलग्गिय मारिओ, मणी तत्थ पडिओ, हेट्ठा कूवो, तस्स पाणियं रत्तिभूयं, नीणियं कूवाओ साभावियं होइ, दारएण थेरस्स कहियं, तेन विलग्गिऊण गहिओ। थेरस्स परिणामिया ॥ सप्पो-चंडकोसिओ चिंतेइ-एरिसो महप्पा इच्चाइ विभासा, एयस्स पारिणामिगी । खग्गीति-सावयपुत्तो जोव्वणबलुम्मत्तो धम्मं न गिण्हइ, मरिऊण खग्गिसु उववण्णो, पिट्ठिस्स दोहिंवि पासेहिं जहा पक्खरा तहा चंमाणि लंबंति, अडवीए च उप्पहे जणं मारेइ, साहुणो य तेणेव पहेण अइक्कमंति, वेगेण आगओ, तेएण न तरइ अल्लिउं, चिंतेइ, जाई संभरिया, पच्चखाणं, देवलोगगमनं । एयस्स
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