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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! शालि आदि के अनुसार यहाँ भी मूल आदि दस उद्देशक कहना ।
| शतक-२१ वर्ग-३ [८१६] भगवन् ! अलसी, कुसुम्ब, कोद्रव, कांग, राल, तूअर, कोदूसा, सण और सर्षप तथा मूलक बीज, इन वनस्पतियों के मूल के रूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं ? (गौतम !) 'शालि' वर्ग के समान कहना ।
| शतक-२१ वर्ग-४ [८१७] भगवन् ! बांस, वेणु, कनक, कविंश, चारुवंश, उड़ा, कुडा, विमा, कण्डा, वेणुका और कल्याणी, इन सब वनस्पतियों के मूल के रूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं ? (गौतम !) शालि-वर्ग के समान मूल आदि दश उद्देशक कहना चाहिए । विशेष यह है कि देव यहाँ किसी स्थान में उत्पन्न नहीं होते । सर्वत्र तीन लेश्याएँ और उनके छब्बीस भंग जानने चाहिए । शेष पूर्ववत् ।
| शतक-२१ वर्ग-५ [८१८] भगवन् ! इक्षु, इक्षुवाटिका, वीरण, इक्कड़, भमास, सुंठि, शर, वेत्र, तिमिर, सतबोरग और नल, इन सब वनस्पतियों के मूल रूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? वंशवर्ग के मूलादि के समान यहाँ भी कहना । विशेष यह है कि स्कन्धोद्देशक में देव भी उत्पन्न होते हैं, अतः उनके चार लेश्याएँ होती हैं (इत्यादि) ।
| शतक-२१ वर्ग-६ [८१९] भगवन् ! सेडिय, भंतिय, कौन्तिय, दर्भ-कुश, पर्वक, पोदेइल, अर्जुन, आषाढक, रोहितक, मुतअ, खीर, भुस, एरण्ड, कुरुकुन्द, करकर, सुंठ, विभंगु, मधुरयण, थुरग, शिल्पिक और सुंकलितृण, इन सब वनस्पतियों के मूलरूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! चतुर्थ वंशवर्ग के समान कहना चाहिए ।
| शतक-२१ वर्ग-७ [८२०] भगवन् अभ्ररुह, वायाण, हरीतक, तंदुलेय्यक, तृण, वत्थुल, बोरक, माणिक, पाई, बिल्ली, पालक, दगपिप्पली, दर्वी, स्वस्तिक, शाकमण्डुकी, मूलक, सर्षप, अम्बिलशाक, जीयन्तक, इन सब वनस्पतियों के मूल रूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? चतुर्थ वंशवर्ग के समान मूलादि दश उद्देशक कहना ।
| शतक-२१ वर्ग-८ [८२१] भगवन् ! तुलसी, कृष्णदराल, फणेजा, अज्जा, भूयणा, चोरा, जीरा, दमणा, मरुया, इन्दीवर और शतपुष्प, इन सबके मूल के रूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? (गौतम !) चौथे वंशवर्ग के समान यहाँ भी मूलादि दश उद्देशक कहने चाहिए । इस प्रकार आठ वर्गों में अस्सी उद्देशक होते हैं ।
शतक-२१ का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण