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भगवती-२५/-/६/९१५
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अनन्तगुणे । उनसे प्रतिसेवनाकुशील के उत्कृष्ट चारित्र-पर्याय अनन्तगुण | उनसे कषायकुशील के उत्कृष्ट चारित्र-पर्याय अनन्तगुण और उनसे निर्ग्रन्थ और स्नातक, इन दोनों के अजघन्यअनुत्कृष्ट चारित्र-पर्याय अनन्तगुण हैं और परस्पर तुल्य हैं ।
१९१६] भगवन ! पुलाक सयोगी होता है या अयोगी होता है ? गौतम ! वह सयोगी होता है, अयोगी नहीं होता है । भगवन् ! यदि वह सयोगी होता है तो क्या वह मनोयोगी होता है, वचनयोगी होता है या काययोगी होता है ? गौतम ! तीनो योग वाला होता है । इसी प्रकार यावत् निर्ग्रन्थ तक जानना चाहिए । भगवन् ! स्नातक ? गौतम ! वह सयोगी भी होता है और अयोगी भी । भगवन् ! यदि वह सयोगी होता है तो क्या मनोयोगी होता है ? इत्यादि प्रश्न । पुलाक के समान है ।
[९१७] भगवन् ! पुलाक साकारोपयोगयुक्त होता है या अनाकारोपयोगयुक्त होता है ? गौतम ! वह साकारोपयोगयुक्त भी होता है और अनाकारोपयोगयुक्त भी होता है । इसी प्रकार यावत् स्नातक तक कहना चाहिए ।
[९१८] भगवन् ! पुलाक सकषायी होता है या अकषायी होता है ? गौतम ! वह सकषायी होता है, अकषायी नहीं होता है । भगवन् ! यदि वह सकषायी होता है, तो कितने कषायों में होता है ? गौतम ! वह चारों कषायों में होता है । इसी प्रकार बकुश और प्रतिसेवनाकुशील को भी जानना । भगवन् ! कषायकुशील ? गौतम ! वह सकषायी होता है । भगवन् ! यदि वह सकषायी होता है, तो कितने कषायों में होता है ? गौतम ! वह चार, तीन, दो या एक कषाय में होता है । चार कषायों में होने पर संज्वलन क्रोध, मान, माया और लोभ । तीन कषाय में संज्वलन मान, माया और लोभ । दो कषायों में संज्वलन माया और लोभ और एक कषाय में होने पर संज्वलन लोभ में होता है ।
भगवन् ! निर्ग्रन्थ ? गौतम ! वह अकषायी होता है । भगवन् ! यदि निर्ग्रन्थ अकषायी होता है तो क्या उपशान्तकषायी होता है, अथवा क्षीणकषायी होता है ? गौतम ! वह उपशान्तकषायी भी होता है और क्षीणकषायी भी । स्नातक के विषय में भी इसी प्रकार जानना चाहिए । विशेष यह है कि वह क्षीणकषायी होता है ।।
[९१९] भगवन् ! पुलाक सलेश्य होता है या अलेश्य होता है ? गौतम ! वह सलेश्य होता है अलेश्य नहीं होता है । भगवन् ! यदि वह सलेश्य होता है तो कितनी लेश्याओं में होता है ? गौतम ! वह तीन विशुद्ध लेश्याओं में होता है, यथा-तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या में । इसी प्रकार बकुश और प्रतिसेवना कुशील जानना । भगवन् ! कषायकुशील ? गौतम ! वह सलेश्य होता है । भगवन् ! यदि वह सलेश्य होता है, तो कितनी लेश्याओं में होता है ? गौतम ! वह छहों लेश्याओं में होता है, यथा-कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या में । भगवन ! निर्ग्रन्थ ? गौतम ! वह सलेश्य होता है । भगवन ! यदि निर्ग्रन्थ सलेश्य होता है, तो में होता है ? गौतम ! निर्ग्रन्थ एकमात्र शुक्ललेश्या में होता है । भगवन् ! स्नातक ? वह सलेश्य भी होता है, और अलेश्य भी । भगवन् ! यदि स्नातक सलेश्य होता है, तो वह कितनी लेश्याओं में होता है ? गौतम ! वह एक परम शुक्ललेश्या में होता है ।
[९२०] भगवन् ! पुलाक, वर्द्धमानपरिणामी होता है, हीयमानपरिणामी होता है अथवा अवस्थितपरिणामी होता है ? तीनो में होता है । इसी प्रकार यावत् कषायकुशील तक