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भगवती - २४/-/२०/८५६
अधिक चार पूर्वकोटि यावत् गति- आगति करता रहता है । यदि वह उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में उत्पन्न हो तो वह जघन्य और उत्कृट तीन पल्योपम की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तियर्यञ्चों में उत्पन्न होता है । शेष पूर्ववत् । विशेष यह है कि परिमाण और अवगाहना तीसरे गमक अनुसार । भवादेश से दो भव और कालादेश सेजघन्य और उत्कृष्ट पूर्वकोटि- अधिक तीन पल्योपम, यावत् गति-आगति करता रहता है ।
भगवन् ! यदि संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्यों से आकार उत्पन्न होते हैं तो क्या संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं या असंज्ञी मनुष्यो से ? गौतम ! वे दोनों प्रकार के मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं । भगवन् ! असंज्ञी मनुष्य, कितने काल की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च में उत्पन्न होता है ? गौतम ! वह जघन्य अन्तमुहूर्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों में उत्पन्न होता है । पृथ्वीकायिका में उत्पन्न होने वाले असंज्ञी मनुष्य की प्रथम तीन गमकों अनुसार यहाँ भी कहना चाहिए । असंज्ञी - पंचेन्द्रिय के मध्यम तीन गमकों के संवेध अनुसार यहाँ भी कहना चाहिए ।
भगवन् ! यदि वह (संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च) संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है तो क्या वह संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्यों से या असंख्यात वर्ष की आयु वाले ? गौतम ! वह संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है । असंख्यात वर्ष वाले नहीं । भगवन् ! यदि वह संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है, तो क्या वह पर्याप्तक संज्ञी मनुष्यों से या अपर्याप्तक संज्ञी मनुष्यों से ? गौतम ! वह दोनों प्रकार के संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है । भगवन् ! संख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी मनुष्य, कितने काल की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! वह जघन्य अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में उत्पन्न होता है ।
भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । (गौतम !) पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होने वाले इसी संज्ञी मनुष्य की प्रथम गमक में कही हुई वक्तव्यताभवादेश तक कहना । कालादेश से - जघन्य दो अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि- पृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम । यदि वह जघन्यकाल की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में उत्पन्न हो, तो उसके लिए यही वक्तव्यता कहना । परन्तु कालादेश से - जघन्य दो अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट चार अन्तमुहूर्त अधिक चार पूर्वकोटि वर्ष, यावत् गमनागमन करता है ।
वह
यदि वही उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों में उत्पन्न हो, जघन्य और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति वाले संज्ञी - पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों में उत्पन्न होता है । विशेष यह है कि उसकी अवगाहना जघन्य अंगुल - पृथक्त्व और उत्कृष्ट पांच सौ धनुष की होती है । स्थिति जघन्य मासपृथक्त्व और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की होती है । इसी प्रकार अनुबन्ध भी जान लेना । भवादेश से - जघन्य दो भव तथा कालादेश से - जघन्य मास - पृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम और उत्कृष्ट पूर्वकोटि अधिक तीन पल्योपम । यदि वह स्वयं जघन्यकाल की स्थिति वाला हो और संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों में उत्पन्न हो, तो संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक में उत्पन्न होने वाले पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च की बीच के तीन गमकों अनुसार इसके भी बीच के तीन गमको भवादेश तक कहना । विशेषता परिमाण के विषय में यह है कि वे उत्कृष्ट संख्यात