Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 275
________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद भविष्यत्काल तथा सर्वकाल भी समझना चाहिए । भगवन् ! क्या (बहुत) आवलिकाएँ संख्यात समय की होती हैं ? इत्यादि । गौतम ! कदाचित् असंख्यात समय की और कदाचित् अनन्त समय की होती हैं । भगवन् ! क्या ( अनेक) आनप्राण संख्यात समय के होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । भगवन् ! ( अनेक) स्तोक संख्यात समयरूप हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् अवसर्पिणीकाल तक समझना । भगवन् ! क्या पुद्गल परिवर्तन संख्यातसमय के होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह अनन्त समय के होते हैं । २७४ भगवन् ! आनप्राण क्या संख्यात आवलिकारूप हैं ? हा गौतम ! इसी प्रकार स्तोक यावत्-शीर्षप्रहेलिका तक जानना । भगवन् ! पल्योपम संख्यात आवलिकारूप है ? गौतम ! वह असंख्यात आवलिकारूप है । इसी प्रकार सागरोपम तथा अवसर्पिणी उत्सर्पिणी काल में जानना । ( भगवन् !) पुद्गलपरिवर्तन ? गौतम ! वह अनन्त आवलिकारूप है । इसी प्रकार यावत् सर्वकाल तक जानना । भगवन् ! क्या (बहुत) आनप्राण संख्यात आवलिकारूप हैं ? वे कदाचित् संख्यात कदाचित् असंख्यात और कदाचित् अनन्त आवलिकारूप हैं । इसी प्रकार यावत् शीर्षप्रहेलिका तक जानना । भगवन् ! क्या पल्योपम ? वे कदाचित् असंख्यात आवलिकारूप हैं और कदाचित् अनन्त आवलिकारूप हैं । इस प्रकार यावत् उत्सर्पिणी पर्यन्त समझना । भगवन् ! क्या पुद्गलपरिवर्त्तन ? वे अनन्त आवलिकारूप हैं । भगवन् ! स्तोक क्या संख्यात आनप्राणरूप है या असंख्यात आनप्राणरूप है ? आवलिका समान आनप्राण सम्बन्धित समग्र वक्तव्यता जानना । इस प्रकार पूर्वोक्त गम के अनुसार यावत् शीर्षप्रहेलिका तक कहना चाहिए । भगवन् ! सागरोपम क्या संख्यात पल्योपमरूप है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वह संख्यात पल्योपमरूप है, किन्तु असंख्यात पल्योपमरूप या अनन्त पल्योपमरूप नहीं है । इसी प्रकार अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी के जानना । भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात पल्योपमरूप है ? गौतम ! वह अनन्त पल्योपमरूप है । इसी प्रकार सर्वकाल तक जानना । भगवन् ! सागरोपम क्या संख्यात पल्योपमरूप हैं ? गौतम ! वे कदाचित् संख्यात कदाचित् संख्यात और कदाचित् अनन्त पल्योपमरूप हैं । इसी प्रकार यावत् अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल के सम्बन्ध में जानना । भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात पल्योपमरूप होते हैं ? गौतम ! वे अनन्त पल्योपमरूप हैं । भगवन् ! अवसर्पिणी क्या संख्यात सागरोपम रूप है ? गौतम ! पल्योपम अनुसार सागरोपम की वक्तव्यता कहनी चाहिए । भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात अवसर्पिणीरूप - उत्सर्पिणीरूप है ? गौतम ! वह अनन्त अवसर्पिणी- उत्सर्पिणीरूप है । इसी प्रकार यावत् सर्वकाल तक जानना । भगवन् ! ( अनेक) पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात अवसर्पिणी - उत्सर्पिणीरूप हैं । गौतम ! वे अनन्त असवर्पिणी- उत्सर्पिणीरूप हैं । भगवन् ! अतीताद्धा क्या संख्यात पुद्गलपरिवर्तनरूप है ? गौतम ! अनन्त पुद्गलपरिवर्तनरूप है । इसी प्रकार अनागताद्धा को जानना । इसी प्रकार सर्वाद्धा के विषय में जानना । [८९५] भगवन् ! अनागतकाल क्या संख्यात अतीतकालरूप है अथवा असंख्यात या अनन्त अतीतकालरूप है ? गौतम ! वह न तो संख्यात अतीतकालरूप है, न असंख्यात और

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