Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 314
________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 21 ] [ 3.1 जोणिय-पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरेवि 11 / जइ जलयर-संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे किं पज्जत्तग-जलयर. संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय--पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरे अपजत्तगजलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिदिय-वेउविय-सरीरे य?, गोयमा ! पजत्तग-जलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे नो अपजत्तग-जलयर-संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे 12 / जति थलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे किं चउप्पय-थलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे परिसप्प-थलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय सरीरे ?, गोयमा! चउप्पय-थलयर-संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे परिसप्पथलयरसंखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे 13 / एवं सब्वेसि णेयव्वं जाव खहयराणं पजत्ताणं नो अपजत्ताणं 14 / जति मणूसपंचिंदिय-वेउब्धिय-सरीरे किं समुच्छिममणूस-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे गभवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! णो समुच्छिममणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे गम्भवक्कंतिय-मणूस--पंचिदिय-वेउव्वियसरीरे 15 / जइ गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे किं कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय--वेउब्वियसरीरे अकम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणूस-पंचिंदिय-वेउब्धियसरीरे अंतरदीवग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! कम्मभूमग-गभवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्बियसरीरेणो अकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेणो अंतरदीवग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे य 16 / जइ कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिदिय-वेउव्वियसरीरे किं संखेजवासाउय-कम्मभूमग

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