Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 360 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः एगत्तेणवि पुहुत्तेणवि श्राहारगा नो अणाहारगा, नोसंजते-नोग्रसंजतेनोसंजतासंजते जीवे सिद्धे य एते एगत्तेण पोहत्तेणवि नो श्राहारगा अणाहारगा, दारं 6 / 7 / सकसाई णं भंते ! जीवे किं श्राहारए अणाहारए ?, गोयमा ! सिय श्राहारए सिय अणाहारते, एवं जाव वेमाणिता, पुहुत्तेणं जीवेगिंदियवजो तियभंगो, कोहकसाईसु जीवादीसु एवं चेव, नवरं देवेसु छन्भंगा, माणकसाईसु मायाकसाईसु य देवनेरइएसु छभंगा, अवसेसाणं जीवेगिदियवजो तियभंगो, लोहकसाईसु नेरइएसु छब्भंगा, अवसेसेसु जीवेगिंदियवजो तियभंगो, अकसाई जहा णोसरणीणोअसरणी 8 / दारं 7 // सूत्रं 310 // णाणी जहा सम्मदिट्टी, श्राभिणिबोहियणाणीसुयणाणीसु बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिएसु छन्भंगा, श्रवसेसेसु जीवादियो तियभंगो जेसिं अस्थि, रोहिणाणी पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया श्राहारगा णो अणाहारगा, अवसेसेसु जीवादियो तियभंगो जेसिं अत्थि भोहिनाणं, मणपज्जवनाणी जीवा मणूसा य एगत्तेणवि पुहुत्तेणविश्राहारगा णो श्रणाहारगा, केवलनाणी जहा नोसरणीनोग्रसरणी 1 / दारं 7 / राणाणी मतिश्रणाणी सुयअण्णाणी जीवेगिदियवजो तियभंगो, विभंगनाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा य पाहारगा णो श्रणाहारगा, अवसेसेसु जीवादियो तियभंगो 2 / दारं 8. / सजोगीसु जीवेगिदियवजो तियभंगो, मणजोगी वइजोगी जहा सम्मामिच्छट्ठिी, नवरं वइजोगो विगलिंदियाणवि, कायजोगीसु जीवेगिदियवजो तियभंगो, अजोगी जीरमणूससिद्धा अणाहारगा 3 / दारं 1 / सागाराणागारोवउत्तेसु जीवेगिदियवजो तियभंगो, सिद्धा अणाहारगा 4 / दारं 10 / सवेदे जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, इथिवेदपुरिसवेदेसु जीवादियों तियभंगा, नपुंसगवेदए य जीवेगिदियवजो तियभंगो, अवेदए जहा केवलनाणी 5 / दारं 11 / ससरीरी. जीवेगिदियवजो तियभंगो, ओरालियसरीरीसु जीवमणूसेसु
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