Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 394
________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 36 ] [ 381 नेरइयादि-वेमाणिय-पजवसाणेसु भणितो तहा नागकुमारादिया अवसेसेसु सट्टाणेसु परहाणेसु भाणितव्वा जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवमेते चउव्वीसा चउव्वीसं दंडगा भवंति 7 // सूत्रं 333 // एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया कसायसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 1 / केवडया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि एगुत्तरियाते जाव अणंता 2 / एगमेगस्स | भंते ! नेरझ्यस्स असुरकुमारत्ते कवइया कसायसमुग्घाया यतीता ?, गोयमा ! अणंता 3 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सति अस्थि कस्सति नस्थि, जस्सत्थि सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता 4 / एवं जाव नेरइयस्स थणियकुमारत्ते, पुढविकाइयत्ते एगुत्तरियाए नेतव्वं, एवं जाव मणुयत्ते 5 / वाणमंतरत्ते जहा असुरकुमारत्ते. जोइसियत्ते अतीता अता. पुरेक्खडा कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्सत्थि सिय असंखेजा सिय अणंता, एवं वेमाणियत्तेवि सिय असंखेजा सिय अणंता 6 / असुरमारस्स नेरइयत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्सस्थि सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता, असुरकुमारस्स असुरकुमारत्ते अतीता अणंता पुरेक्खडा एगुत्तरिया, एवं नागकुमारत्ते जाव निरंतरं वैमाणियत्ते जहा नेरझ्यस्स भणितं तहेव भाणितव्वं 7 / एवं जाव थणियकुमारस्सवि वेमाणियत्ते, नवरं सव्वेसि सट्टाणे एगुत्तरियाए परट्ठाणे जहेव असुरकुमारस्स, पुढविकाइयस्स नेरइयत्ते जाव थणियकुमारत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सति अस्थि करसति नत्थि, जस्सत्थि सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता 8 / पुढविकाइयस्स पुढविकाइयत्ते जाव मणूसत्ते अतीता अणंता पुरेवखडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि जस्स अस्थि एगुत्तरिया 1 / वाणमंतरत्ते जहा णेरइयत्ते, जोतिसियवेमाणियत्ते अतीता अणंता पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्त अस्थि सिय असंखेजा सिय अणंता, एवं जाव मणूसत्तेवि नेयव्वं

Loading...

Page Navigation
1 ... 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408