Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

Previous | Next

Page 376
________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 26 ] [ 363 पन्नत्ते, तंजहा-चक्खुदंसण-अणागारोमोंगे य अचक्खुदंसण-प्रणागारोवश्रोगे य 12 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा नेरइयाणं 13 / मणुस्साणं जहा श्रोहिए उवयोगे भणितं तहेव भाणितव्वं 14 / वाणमंतर-जोतिसियवेमाणियाणं जहा णेरइयाणं 15 / जीवा गं भंते ! किं सागरोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 16 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवा सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि ?, गोयमा ! जे णं जीवा प्राभिणियोहियणाण-सुयनाण-योहिनाण-मणपजवनाणकेवलनाण-मइंश्रणाण-सुयराणाण-विभंगणाणोवउत्ता ते णं जीवा सागारोवउत्ता, जे णं जीवा चक्खुदसण-अचक्खुदसण-योहिदंसण-केवलदंसणोवउत्ता ते णं जीवा अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं बुचइ-जीवा सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 17 / नेरइया णं भंते ! किं सागरोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! नेरइया सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 18 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति ?, गोयमा ! जे णं नेरइया श्राभिणिबोहियणाण-सुयणाण-श्रोहिणाण-मतिअराणाण-सुययगणाण-विभंगनाणोवउत्ता ते णं नेरइया सागारोवउत्ता, जे णं नेरइया चक्खुदंसण-अचक्खुदंसणश्रोहिदसणोवउत्ता ते णं नेरइया अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि, एवं जाव थणियकुमारा 11 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! तहेव जाव जे णं पुढविकाइया मतिश्रराणाण-सुयश्ररणाणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया सागारोवउत्ता, जे णं पुढविकाइया अचक्खुदंसणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुञ्चति जाव वणप्फइकाइया 20 / बेइंदियाणं भंते ! अट्ठसहिया तहेव पुच्छा, गोयमा ! जाव जे णं बेइंदिया श्राभिणिबोहियणाण-सुयणाण-मतिअण्णाण-सुयश्ररणाणोवउत्ता ते णं बेइंदिया सागारोवउत्ता, जे णं बेइंदिया अक्खुदंसणोवउत्ता ते णं बेइंदिया अणागा

Loading...

Page Navigation
1 ... 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408