Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
________________ 370 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः पुढवीए हेट्ठिल्ले चरमंते, पाणयपाणयारणच्चुयदेवा अहे जाव पंचमाए धूमप्पभाए हेट्ठिल्ले चरमंते, हेट्ठिममज्झिमगेवेजगदेवा अधे जाव छट्ठाए तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले जाव चरमंते 16 / उवरिमगेविजगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं योहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं अधे सत्तमाए हेट्ठिल्ले चरमंते तिरियं जाव असंखेज्जे दीवसमुद्दे उड्ढ जाव सयाई विमाणाई भोहिणा जाणंति पासंति 17 / अणुत्तरोववाइयदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! संभिन्नं लोगनालिं श्रोहिणा जाणंति पासंति // सूत्रं 318 // नेरझ्याणं भंते ! श्रोही किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! तप्पागारसंठिए पन्नत्ते 1 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! पल्लगसंठिते, एवं जाव थणियकुमाराणं 2 / पंचिंदिय-तिरिखखजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! णाणासंगणसंठिए, एवं मणूसाणवि 3 / वाणमंतराणं पुच्छा, गोयमा ! पडहगसंट्ठाणसंहिए 4 / जोतिसियाणं पुच्छा, गोयमा ! झलरिसंगणसंठिए पत्नत्ते 5 / सोहम्मगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! उड्डमुयंगागारसंठिए पन्नत्ते, एवं जाव अच्चुयदेवाणं 6 / गेवेजगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! पुष्फचंगेरिसंठिए पन्नत्ते 7 / अणुत्तरोववाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जवनालियासंठिते श्रोही पन्नत्ते 8 // सूत्रं 311 / 1 // नेरइयाणं भंते ! श्रोहिस्स कि अंतो बाहिं ? गोयमा ! अंतो नो बाहिं, एवं जाव थणियकुमारा 1 / पंचिदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो अंतो बाहिं 2 / मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! अंतोवि बाहिंपि, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणियाणं जहा नेरझ्याणं 3 / नेरइयाणं भंते ! किं देसोही सव्वोही ?, गोयमा ! देसोही नो सवोही, एवं जाव थणियकुमारा 4 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! देसोही नो सव्वोही 5 / मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! देसोहीवि सम्बोहीवि 6 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं
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