Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 352 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः रेंति 7 / जाति भंते / अणतगुणलुक्खाइं ग्राहारेंति ताई कि पुटाई अाहरेंति अपुट्ठाई याहारेंति ?, गोयमा ! पुटाई श्राहारेंति नो अपुट्ठाई थाहारेति, जहा भासुद्दे सए जाव णियमा छदिसि श्राहारेंति, श्रोसराणं कारणं पडुच्च वराणो कालनीलातिं गंधयो दुब्भिगंधातिं रसो तित्तरसकडुयाई फासया कक्खड-गुरुय-सीयलुक्खाई तेसिं पोराणे वरणगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विपरिणामइता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अराणे अपुब्वे वराणगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाइत्ता यायसरीर-खेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए अाहारं पाहारेंति 8 / नेरझ्या णं भंते ! सवयों थाहारेंति सब्बयो परिणामंति सक्यो ऊससंति सव्वयो नीससंति यभिक्खणं पाहारेंति अभिक्खणं परिणामंति अभिक्खणं उससंति अभिक्खणं नीससंति, ग्राहच्च श्राहारेंति बाहच्च परिणामेंति अाहन्च ऊससंति ग्राहच्च नीससंति ?, हंता ! गोयमा ! गोरइया सव्वतो याहारेंति, एवं तं चेव जाव ग्राहच्च नीससंति 1 / नेरइया णं भंते ! पोग्गले थाहारत्ताते गिराहंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं श्राहारेंति कतिभागं आसाएंति ?, गोयमा ! असंखेजतिभागं श्राहारेति अणंतभागं अस्साएंति 10 / नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताते गिराहंति ते कि सव्वे अाहारेति नो सब्वे थाहारेंति ?, गोयमा ! ते सव्वे अपरिसेसए ग्राहारेंति 11 / नेरइया णं भंते ! जे पोग्गला आहारत्ताए गिराहंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो 2 परिणामेंति ?, गोयमा ! सोतिदियत्ताते जाव फासिदियत्ताते अणि?त्ताते अकंतत्ताए अपियत्ताए असुभत्ताए अरिण?त्ताए अमणुराणत्ताए अमणामत्ताते अणिच्छियत्ताते अभिज्झित्ताए ग्रहत्ताते नो उद्धत्ताए दुक्खत्ताते नो सुहत्ताते एतेसिं भुजो 2 परिणमति 12 // सूत्रं 303 // असुरकुमारा णं भंते ! थाहारट्ठी ?, हंता ! अाहारट्ठी, एवं जहा नेरझ्याणं तहा असुरकुमाराणवि भाणितब्बं, जाव तेसिं भुजो 2 परिणमंति, तत्थ णं जे से आभोगनिबत्तिते
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