Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 364
________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 28 ] [ 351 जाव वेमाणिया, बोरालियसरीरा जाव मणूसा सचित्ताहारावि अचित्ताहारावि मीसाहारावि 1 / नेरझ्या णं भंते ! थाहारट्ठी ?, हन्ता गोयमा ! थाहारट्ठी 2 / नेरइयाणं भंते ! केवतिकालस्स श्राहारट्टे समुप्पजति ?, गोयमा ! नेरइयाणं दुविधे थाहारे पराणत्ते, तंजहा-याभोगनिव्वत्तिते य अणाभोग-निव्वत्तिते य, तत्थ णं जे से अणाभोग-निवत्तिते से णं अणुसमय-मविरहिते थाहारट्टे समुप्पजति, तत्थ णं जे से श्राभोग-निव्वत्तिते से णं असंखिजममतिए अंतोमुहुत्तिते श्राहारट्टे समुप्पजति 3 / नेरइया णं भंते ! किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! दव्यतो अणंतपदेसियाति खेत्तो असंखेजपदेसोगाढाति कालतो अराणयरहिझ्याति भावत्रो वराणमंतातिं गंधमंताई रसमंताई फासमंताई 4 / जाइं भावतो वरणमंताई थाहारेति ताई किं एगवराणाति अाहारेंति जाव किं पंचवरणाई थाहारेंति ?, गोयमा ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवराणाइंपि थाहारेति जाव पंचवराणाइपि अाहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालवराणाइंपि अाहारेंति जाव सुकिल्लाईपि अाहारेंति 5 / जाति वराणतो कालवणातिं श्राहारेंति ताई किं एगगुणकालाई श्राहारेंति जाव दसगुणकालाई थाहारेंति संखिजगुणकालाई थाहारेति असंखिजगुणकालाई श्राहारेंति अणंतगुणकालाई श्राहारेंति ?, गोयमा ! एगगुणकालाइपि श्राहारेंति जाव अणंतगुणकालाइपि श्राहारेंति, एवं जाव सुकिल्लाई, एवं गंधतोवि रसतोवि, जाई भावग्रो फासमंताई ताई नो एगफासाई थाहारेंति नो दुफासाई थाहारेंति नो तिफासाई थाहारेंति चउफासाई थाहारेंति, जाव अट्टफासाइंपि अाहारेंति, विभागमग्गणं पडुच्च कक्खडाइंपि श्राहारेंति जाव लुक्खाइं 6 | जातिं फासतो कक्खडातिं आहारेति ताई किं एगगुण-कक्खडाई थाहारेंति जाव अणंतगुण-कक्खडाइं श्राहारेंति ?, गोयमा ! एगगुण-कक्खडाइपि थाहारेंति जाव अणंतगुण-कक्खडाइंपि थाहारेंति, एवं अट्ठवि फासा भाणितव्वा, जाव अणंतगुणलुक्खाइपि श्राहा

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