Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 362
________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 26 ] [ 349 य छबिहबंधए य चउभंगो 1 श्रवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधए य एगविहबंधगे य चउभंगो 2, अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य एगविहबंधए य चउभंगो 3 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधए य छविहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अट्ट, एवं एते सत्तावीसं भंगा, एवं जहा णाणावरणिज्जं जहा दसणावरणिज्जंपि अंतराइयंपि 5 / जीवे णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधते वा अट्टविहबंधते वा छवि हबंधए वा एगविहबंधए वा प्रबंधए वा, एवं मणूसेवि, श्रवसेसा णारयादीया सत्तविहबंधगा य थट्टविहबंधगा य एवं जाव वेमाणिता 6 / जीवा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडियो बंधति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य अहवा: सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधमा य छबिहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगा य, अबंधगेणवि समं दो भंगा भाणितव्वा, श्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य श्रबंधगे य चउभंगो, एवं एए नव भंगा, एगिदियाणं अभंगतं, नारगादीणं तियभंगा जाव वेमाणियाणं 7 / नवरं मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधते य अट्टविहबंधते य प्रबंधते य, एवं एते सत्तावीसं भंगा भाणितव्वा, (जहा किरियासु पाणाइवायविरतस्स) एवं जहा वेदणिज्ज तहा पाउयं नामं गोयं च भाणितव्वं, मोहणिज्ज वेदेमाणे जहा बंधे णाणावरणिज्जं तहा भाणियव्वं // सूत्रं 301 // पराणवणाए भगवईए छब्बीसतिमं पयं समत्तं // // इति षड्विंशतितमं पदम् / / 26 //

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