Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02 Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 3
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-२) [Type text] "आगम-सागर-कोष:” विषयक किञ्चित् स्पष्टीकरण पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यश्री आनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेबने अपने युगमे आगमो के बहोत से शब्दो एवं उन की व्याखाओ का चयन किया था, किन्तु ईसे शब्दकोष के रुपमे संकलन और मुद्रण पूज्य आचार्यश्री कंचनसागरसूरिजी आदिने करवाया | ईस कोष का नाम 'अल्प-परिचित-सैद्धान्ति-शब्दकोष:' रक्खा. परन्तु इसमे शब्दार्थ भी है, बहोत स्थान पर शब्दो की आगमिक व्याख्याए भी है और शब्दो के बीच अनेक स्थान पर खास नाम भी है | पूज्य गच्छाधिपति आचार्य सूर्योदयसागरसूरिजी कि सूचना एवं उनसे हुए विचार-विमर्श अनुसार हमने ईस 'कोष' के अध्ययनमे देखा की -कई जगह पर सिर्फ शब्द है, कई जगह शब्द और संदर्भ है मगर अर्थ नहि है, कई जगह पर संदर्भ के नाम है मगर पृष्ठांक नहि है तो कहीं कहीं शब्दो के अ-कारादि क्रममे गलति दिखी है | ऐसी अनेक मर्यादाओ का उल्लेख स्वयम् आचार्यश्री कंचनसागरसूरिजीने 'अल्पपरिचितसैद्धान्तिकशब्दकोष' भाग -१ मे किया है | हमने ईस कोष की रचना करते वक्त सिर्फ पूज्यपाद आनन्दसागर सूरीश्वरजी महाराज दवारा संचित शब्दो एवं व्याख्याओ को ध्यानमे ले कर ईस 'कोष' की रचना की है | रचना करते वक्त विशेषावश्यकभाष्य, उपदेशमाला, तत्त्वार्थसूत्र और पउमचरियं के शब्द निकाल कर सिर्फ आगमो के शब्दो को हि स्थान दिया है । अनेक स्थानो पर प्रत्यय या विभक्ति को हटा कर 'शब्दकोष' के नियमानुसार मूल शब्द रख दिये है, परिणाम स्वरुप जहा जहा समान शब्द प्राप्त हए, उन शब्दो को एकसाथ रख कर उन के संदर्भ वहि नीचे जोड दिये है, कहीं कहीं एक हि शब्द की व्याख्या से पता चलता है की ये शब्द भले एक है मगर 'अर्थ' कि द्रष्टि से वे शब्द भिन्न भिन्न है, तो उन शब्दो को अलग अलग भी कर दिया है | जहा प्राकृत और संस्कृत दोनो शब्द है, वहा प्राकृत शब्द को पीछे से आगे ले कर बोल्ड टाईपमे रक्खे है | ऐसे अनेक परिवर्तन कर के कोष का उपोगिता मूल्य बढाकर हमने ईस कोष की रचना की है | हमने ईस 'कोष' का नाम "आगम-सागर-कोष:” पसंद किया है | यहा सिर्फ़ आगमिक शब्दो को हि स्थान दिया है इसिलिए 'आगम' शब्द पसंद किया, सागरजी महाराज दवारा शब्द संचित हुए इसिलिए 'सागर' शब्द लिया, ईस कोषमे शब्द, खासनाम और व्याखयाए तिनो का समावेश हुआ है इसिलिए शब्दकोष नाम कि जगह सिर्फ कोष [Dictionary] शब्द रक्खा है | ईस 'कोष' को हमने पांच भागोमे प्रगट किया है, करीब 1200 पृष्ठोमें रहे हए ईस ग्रन्थमे 41,000से ज्यादा शब्दो [+नामो+धातु का समावेश हुआ है | अनेक शब्दो की व्याख्याए भी है और इन शब्दो या व्याख्याओ के आगमसंदर्भ भी दिये है | इस के साथ हम एक मर्यादा का भी स्वीकार कर लेते है- इस कोष के मूल संपादनमे बहोत से शब्द और अनेक व्याख्याए समाविष्ट नहीं हुई है, इसिलिए यहा पर भी अनेक शब्द और व्याख्याए छुट गए है | शब्दो और खास-नामो के लिए आप हमारा [१] आगम सद्दकोसो भाग १ से ४ और [२] आगम नाम एवं कहाकोसो देख शकते है, और व्याख्याओ के लिए हम भविष्यमें 'जैन आगम कोष:' बनाने का आयोजन कर रहे है | परमात्मा की कृपा हुइ तो मेरे पांच-सो नब्बे [590] प्रकाशनो की तरह 'जैन-आगम-कोष:' भी अवश्य आप के कर-कमलोमें समर्पित हो जायेगा | ...मुनि दीपरत्नसागर..... मुनि दीपरत्नसागरजी रचित "आगम-सागर-कोषः" [२]Page Navigation
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