Book Title: Agam Nimbandhmala Part 03
Author(s): Tilokchand Jain
Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti

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Page 13
________________ आगम निबंधमाला ת התחברות תחבורהבונהההההצהוברבוצת תור ה जैनागम नवनीत सारांश पुस्तकों के प्रति अभिमत -कविरत्न श्री चंदनमुनि पंजाबी गीदडवाहा मंडी से प्राप्त गुणषष्टक खंड एक से लेकर के, आठों ही हमने पाया है / जैनागम नवनीत देख कर, मन न मोद समाया है // 1 // पंडित रत्न तिलोक मुनिवर, इसके लेखक भारे हैं / जैन जगत के तेज सितारे, जिनको कहते सारे हैं // 2 // उनकी कलम कला की, जितनी करो प्रशंसा थोडी है / इनको श्रेष्ठ बनाने में कुछ, कसर न इनने छोडी है // 3 // जिन्हें देख कर जिन्हें श्रवण कर, कमल हृदय के खिलते हैं। जैनागम विद्वान गहनतर, उनसे कम ही मिलते हैं // 4 // हमें हर्ष है स्थानकवासी, जैन जगत में इनको देख / कहने में संकोच नहीं कुछ, अपनी उपमा है वे एक // 5 // गीदडवाहा मंडी में जो, पंजाबी मुनि चन्दन है / उनका इनके इन ग्रंथों का, शत शत अभिनन्दन है // 6 // 00000 परम आदरणीय आसु कवि श्री चंदनमुनिजी म.सा. अनेक वर्षों से गीदडवाहा मंडी पंजाब में ठाणापति विराजमान थे। चार्तुमास सूचि के आधार से अनेक संतों को स्वाध्यायार्थ पुस्तकें भेजी गई फलतः अनेक पत्र स्वत: आये। धर्म जगत के लोग बहुत खुश हुए। उनके पत्रों का संलकन आगे पांचवें भाग में देखें। 00000 卐)))))))))))))))))5555555 / 13

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