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दश-र्वकालिक सूत्र |
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वचन |
साधुगणपालनेर आदेश संयमेर फल व्याख्यां आछे अगणन ॥८ अध्ययन नवमेते आहे बहु नीति । चतुर्विध उद्देशेर रहेछे विवृति || क्रोध आर विनयेर विषय वर्णन | गुरु प्रति श्रद्धाभावे शिप्येर पतन ॥ नागेर उपमा द्वारा याहा विचारित | मुमुक्षु मुनिर का हयेछे वर्णित || गुरु सेवा विनयीर किवा हय फल | तुलना इन्द्ररे सह गुरूर केवल ॥
कथित |
वर्णित ।।
उपमा सुधांशु सह गणीर गुरुर सन्तोष फल हयेळे धर्मेर उपमा आछे वृक्षेर कपटता महादोष हयेछे विनयोर भावि फल अविनये दोष । शारीरिक मानसिक जन्मे असन्तोष || आचार आज्ञा मानि किरूपे साधक । उन्नति चरम स्थाने उठिछे सेवक ॥ शिल्पादि निषेध विधि नम्रतार गुण । क्षमार किरूप शक्ति हयेछे वर्णन || गुरु सेवा भिक्षा लाभ इन्द्रियेर जय । अप्रिय भाषण त्याग वर्णित विषय ॥ रागद्वे षकषायेर त्यागेर सुफल । निन्दा त्यागे सकलेर जन्मे धर्म्म बल ॥ .
सहित ।
कथित ॥