Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Ramnibhushan Bhattacharya
Publisher: Parshwanath Jain Library Jaipur
View full book text
________________
१७०
दश - वैकालिक सूत्र |
प्रथम चूलिका ।
तेमनि इन्द्रियगण पापेर निदान । कदापि कांपाते नारे धामिकेर प्राण ॥ सुबुद्धि साधक बुझि अष्टादश स्थान । ज्ञान ओ दर्शनादिते हये ज्ञानवान् ॥ उहार साधनरीति सयत्ने बुझिया । कायमनोवाक्ये सदा संयम राखिया || त्रिगुप्तिते गुप्त हये जैनेन्द्र कथित । शास्त्रोक्त क्रियाय हय तत्पर सतत ॥१८ तीर्थङ्कर महापूज्य साधक याहारा । दियाछेन उपदेश हितार्थे ताहारा ॥ स्मरि सेइ उपदेश त्यति स्वकल्पना । वलितेहि पूरूप करिओ धारणा ॥ १
इति रतिवाक्य चूलिका समाप्त ।
·

Page Navigation
1 ... 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207