Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Ramnibhushan Bhattacharya
Publisher: Parshwanath Jain Library Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 198
________________ * दश-कालिक सूत्र | द्वितीय चूलिका । अतीत नाहले पुनः समय हिगुण । तथाय कभु ना करे साधुरा गमन ॥ चारिमास ऋवद्ध मासेर द्विगुण । समय ना ले गत साधुरा कखन ॥ चातुर्मास्य मासकल्प करिवेना तथा । ठिक पथे चलिषेक सूत्रे आहे यथा ॥ विधि वा निषेध वाक्य सूत्रे उल्लिखित । पालन करिव साधु हये सुविदित ॥१६ रात्रिर प्रथम भागे अथवा अन्तिमे । आत्मा द्वारा आत्मा देखे ये साधु मरमे ॥ ताहार कल्पित आलचिन्तन प्रकार । लिपिवद्ध करितेहि शुन एइवार ॥ यथाशक्ति करियाहि कोन तपोत्रत । अवशिष्ट आहे कोन कर्त्तव्य विहित ॥ आगमोक्त वैयावृत्ति आदि कर्म्म कत । सामध्ये धांकिते जहा हयं नाइ कृत" ॥१२ अपर, कोन कि त्रुटि, देखेन आमार । अल्प वैराग्य किवा हयेछे आत्मार ॥ कोन भ्रम दोषयुत अज्ञानजड़ित । करि नाइ त्याग आमि मायाय मोहित ॥ इत्यादि वाक्वेर अर्थ हये सावधान । आगमोक्त विधिवले बुझि भ्रमज्ञान ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207