Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Ramnibhushan Bhattacharya
Publisher: Parshwanath Jain Library Jaipur

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Page 193
________________ दश-वैकालिक-सा अथ द्वितीय चूलिका। द्वितीय चूलिका कथा केवलिभापित । शुन मन दिया सवे, हइया संयत ।। कुरकण्डक नामक छिल एकजन । जैन धम्म भक्तियुक्त यति तपोधन ।। साध्वीर आदेश, तिनि करि अनशन । इतकाले कर्मफले हारान जीवन ।। मृत्युवार्ता शुनि साध्वी उद्विग्ना रमणी। सीमन्धर गुरुकाछे चलेन तखनि ।। भावेन उद्विग्ना मने किसेर कारण । करिलाम अनशने मुनि विनाशन ? गुरुके बलेन साध्वी आमि अभागिनी। तवादेशे कथा कहि मोक्ष-विधायिनी ।। एक साधु ममवाक्ये करिया विश्वास । हारायेछे प्राण इहा हयेछे प्रकाश ।।

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