Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Ramnibhushan Bhattacharya
Publisher: Parshwanath Jain Library Jaipur

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Page 183
________________ दर्श-वैकालिक-सूत्र । १६१ दशम अध्ययन। कुशील आरम्भ आदि चेप्टा तेयागिया । हास्यकारी कुहकेते युक्त ना हइया ।। प्रवञ्चा लइया यिनि हन समाहत । भाव भिक्षु वलि तिनि हयेन पूजित ।।२० अशुचि अनित्य देहे ममता त्यजिया। राखि हिते निज आत्मा आगम स्मरिया ।। संसारेर वन्ध हेतु जनम मरण । उसयेर हेतु यिनि करेन छेदन ।। सिद्धिगति, तिनि भवें साधु प्राप्त हन । भाव साधु नाम तार सफल जीवन ।।२१ . तीर्थकर महापूज्य साधक याहारा । दियाछेन उपदेश हितार्थे ताहारा ।। नरि सेइ उपदेश त्यजि स्वकल्पना । वलितेछि पूर्वरूप करिओ धारणा ।।२२ इति दगम सभिश्वध्ययन समाप्त ।

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